आधार: एक व्यापक जानकारी और संकल्पना
आधार की संकल्पना और इतिहास
आधार (Aadhaar) का विचार पहली बार 2006 में उभरा।
इसकी परिकल्पना देश के प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या (Unique Identification Number) देने के लिए की गई।
यह संकल्पना यूआईडीएआई (UIDAI – Unique Identification Authority of India) के तहत लागू की गई।
इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था, भारत में सरकारी योजनाओं को पारदर्शी और प्रभावी बनाना।
आधार की संकल्पना को साकार रूप देने में मुख्य भूमिका नंदन नीलकेणी की थी, जो इंफोसिस के सह-संस्थापक थे।
उनके साथ कई अन्य विशेषज्ञ और आईटी प्रोफेशनल्स ने इस परियोजना को सफल बनाने में योगदान दिया।
UIDAI की स्थापना 28 जनवरी 2009 को तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुई।
आधार: परिचय और नामकरण
आधार का मतलब है “बुनियाद” या “आधारभूत संरचना”। इस परियोजना का नाम आधार इसलिए रखा गया।
क्योंकि इसका उद्देश्य नागरिकों को एक सार्वभौमिक पहचान प्रदान करना था, जो सभी योजनाओं और सेवाओं की बुनियाद बने।
आधार का मुख्य कार्य
1. विशिष्ट पहचान: प्रत्येक नागरिक को 12 अंकों की विशिष्ट संख्या प्रदान करना।
2. बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक डाटा संग्रह:
बायोमेट्रिक डाटा: फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतलियों (Iris) की स्कैनिंग।
डेमोग्राफिक डाटा: नाम, जन्म तिथि, लिंग, पता, आदि।
3. सत्यापन और पहचान: सरकारी योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों को रोकना।
4. डिजिटल सेवाएं: ई-केवाईसी और बैंकिंग जैसी सेवाओं को सरल और सुरक्षित बनाना।
आधार बनाने की प्रक्रिया
1. रजिस्ट्रेशन केंद्र पर जाना: नजदीकी आधार केंद्र पर जाना।
2. डॉक्यूमेंट जमा करना: पहचान और पते के प्रमाण जैसे दस्तावेज।
3. बायोमेट्रिक डाटा का संग्रह:
10 फिंगरप्रिंट स्कैन।
दोनों आंखों की पुतली का स्कैन।
4. डेटा सत्यापन: दस्तावेज और बायोमेट्रिक का मिलान।
5. आधार नंबर जारी करना: सफल सत्यापन के बाद नागरिक को 12 अंकों का विशिष्ट आधार नंबर जारी किया जाता है।
आधार कार्ड के प्रमुख तथ्य
1. विशिष्ट संख्या: आधार नंबर 12 अंकों का होता है।
2. पहला आधार कार्ड: 29 सितंबर 2010 को महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में जारी किया गया।
3. तकनीकी संरचना: आधार का डाटाबेस सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड होता है।
4. वर्चुअल आईडी (VID): 16 अंकों की अस्थायी संख्या, जो आधार की गोपनीयता बनाए रखने में मदद करती है।
आधार की कानूनी मान्यता
आधार को कानूनी मान्यता 2016 में “आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ, और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम” के तहत मिली।
इस अधिनियम का उद्देश्य सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचाना था।
वर्तमान में आधार की स्थिति
1. कुल जारी आधार संख्या: दिसंबर 2024 तक 140 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
2. अनिवार्य योजनाएं:
एलपीजी सब्सिडी।
प्रधानमंत्री जनधन योजना।
मनरेगा।
राशन कार्ड।
पेंशन योजना।
आधार और सुरक्षा
1. फर्जीवाड़े की रोकथाम:
बायोमेट्रिक सत्यापन।
ई-केवाईसी प्रक्रिया।
2. तकनीकी मजबूती:
डेटा एन्क्रिप्शन।
यूआईडीएआई के सर्वर पर डेटा सुरक्षित।
नोट: यदि किसी व्यक्ति के फिंगरप्रिंट या आईरिस में समस्या हो तो बायोमेट्रिक अपडेट किया जा सकता है।
विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष प्रक्रिया लागू होती है।
आधार से जुड़े मुख्य ऐप्स
1. माय आधार (My Aadhaar): आधार अपडेट और सेवाओं के लिए।
2. UMANG ऐप: सरकारी योजनाओं और सेवाओं के लिए।
3. mAadhaar: मोबाइल आधारित आधार प्रबंधन।
आधार और बैंकिंग
1. बैंक खातों से लिंक: आधार को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य है।
2. ई-केवाईसी: आधार के माध्यम से डिजिटल सत्यापन।
3. डिजिटल भुगतान: डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से सरकारी लाभ।
तकनीकी दुरुपयोग और बचाव
चुनौतियां:
1. डेटा चोरी।
2. आधार फर्जीवाड़ा।
उपाय:
1. वर्चुअल आईडी का उपयोग।
2. लॉक/अनलॉक सुविधा।
3. आधार अपडेट और निगरानी।
भविष्य में आधार की उपयोगित
आधार कार्ड भारत में डिजिटल पहचान का मुख्य आधार बन चुका है।
सरकार का उद्देश्य इसे सभी सेवाओं से जोड़कर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
निष्कर्ष: आधार एक ऐसा नवाचार है, जिसने भारत में पहचान और सेवाओं की प्रक्रिया को बदल दिया है।
यह नागरिकों को अधिकार और सेवाओं तक सरल और सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है।
आधार अपग्रेडेशन के संबंध में: वर्तमान में UIDAI ने नागरिकों के लिए आधार कार्ड विवरण अपडेट करने की प्रक्रिया को सरल और डिजिटल किया है।
डेटा अपग्रेडेशन का समय सरकार द्वारा बढ़ाकर 2025 तक कर दिया गया है, जिससे नागरिक अपने बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक डिटेल्स को समय पर संशोधित कर सकते हैं।