Farji ptta bnane vale 2 aaropi girftar

जसवंतपुरा पुलिस की बड़ी कार्रवाई: फर्जी पट्टा बनाने वाले दो आरोपी गिरफ्तार

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जालौर जिले के जसवंतपुरा थाना क्षेत्र में पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ग्राम पंचायत राजपुरा के सरपंच और ग्राम सेवक की फर्जी मोहर और हस्ताक्षर का उपयोग कर फर्जी पट्टा बनाने के मामले में पुलिस ने दो वांछित आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

 

गिरफ्तार आरोपी:

जसवंतपुरा थाना अधिकारी प्रताप सिंह ने जिला एसपी ज्ञानचंद्र यादव के निर्देशन में कार्रवाई करते हुए 30 वर्षीय जोगाराम पुत्र अजाराम देवासी, निवासी सावीदर और 26 वर्षीय भैराराम पुत्र निम्बाराम देवासी, निवासी दांतलावास को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों पर फर्जी पट्टा बनाकर लोगों को धोखा देने का आरोप है।

 

पुलिस की अपील:

जसवंतपुरा पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी प्लॉट, जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले उसकी कानूनी जांच-पड़ताल अवश्य करें। मालिकाना हक और दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित कर ही आगे कदम उठाएं, ताकि किसी भी तरह के फर्जीवाड़े से बचा जा सके।

 

पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ा संदेश गया है। मामले की जांच जारी है, और पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में

जुटी है।

फर्जी पट्टा बनाने, फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने, और फर्जी हस्ताक्षर (जैसे मोहर छाप का उपयोग) कर फर्जी पट्टा (लीज डीड या भूमि स्वामित्व का दस्तावेज़) बनाने से संबंधित मामले भारतीय दंड संहिता (IP.C) और अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत दंडनीय हैं। इसमें निम्नलिखित धाराएं लागू हो सकती हैं:

प्रासंगिक धाराएं:

1. आईपीसी की धारा 420:

धोखाधड़ी (Cheating) और बेईमानी से संपत्ति का हनन।

सजा: 7 साल तक का कारावास और जुर्माना।

 

2. आईपीसी की धारा 467:

मूल्यवान सुरक्षा, वसीयत, या संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों की फर्जी दस्तावेज़ीकरण।

सजा: आजीवन कारावास और जुर्माना।

3. आईपीसी की धारा 468:

धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी।

सजा: 7 साल तक का कारावास और जुर्माना।

4. आईपीसी की धारा 471:

किसी फर्जी दस्तावेज़ का वास्तविक के रूप में उपयोग करना।

सजा: 2 साल से लेकर 7 साल तक का कारावास और जुर्माना।

5. आईपीसी की धारा 34 या 120B:

अगर यह अपराध एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा सांठगांठ से किया गया हो।

सजा: संबंधित अपराध की मुख्य सजा के बराबर।

 

6. भारतीय स्टाम्प एक्ट और रजिस्ट्री कानून:

अगर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग भूमि रजिस्ट्री के लिए किया गया हो, तो स्टाम्प एक्ट और अन्य प्रासंगिक कानूनों का उल्लंघन भी हो सकता है।

पुलिस कार्रवाई की प्रक्रिया:

1. एफआईआर (FIR) दर्ज करना:

पीड़ित या शिकायतकर्ता पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज कर सकता है।

पुलिस दस्तावेजों की जांच करेगी और साक्ष्य जुटाएगी।

2. जांच:

दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच कराई जाती है।

गवाहों और संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए जाते हैं।

आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है।

3. चार्जशीट दाखिल करना:

जांच पूरी होने पर, पुलिस चार्जशीट तैयार कर अदालत में पेश करती है।

न्यायालय में सजा का प्रावधान:

न्यायालय साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर फैसला सुनाती है।

अगर आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो संबंधित धाराओं के तहत सजा दी जाती है।

जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी हो सकता है, विशेषकर यदि यह मामला सार्वजनिक भूमि या सरकारी अधिकारों से संबंधित हो।

महत्वपूर्ण बिंदु:

1. फर्जी दस्तावेज़ बनाने और उसका उपयोग करने दोनों अलग-अलग अपराध हैं।

2. सजा की गंभीरता अपराध के प्रभाव और धोखाधड़ी की सीमा पर निर्भर करती है।

3. सरकारी अधिकारी या किसी अधिकृत व्यक्ति की मिलीभगत होने पर उन्हें भी समान धाराओं के तहत अभियोजन का सामना करना पड़ सकता है।

कानूनी सहायता:

यदि आप ऐसे मामले में फंसे हों या शिकायतकर्ता हों,

तो किसी योग्य वकील से परामर्श लें। उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करें और सभी साक्ष्य सुरक्षित रखें।

 

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