जड़िया बूंटी जे जग जीवै, तो वेदा क्यूं मर जाही।
इस पंक्ति का मूल भाव यह है कि यदि जड़ी-बूटियों और औषधियों में जीवन बचाने या दुख हरने की शक्ति होती, तो वेद और वैद्य (जो इनका ज्ञान रखते हैं) खुद मृत्यु को प्राप्त क्यों होते या दुखी क्यों होते।
इसका उद्देश्य यह संकेत देना है कि जीवन और मृत्यु का चक्र औषधियों से परे है।
यह दर्शन यह बताता है कि केवल भौतिक उपायों से जीवन की समस्याओं का पूर्ण समाधान नहीं हो सकता।
असली समाधान आत्मा और आध्यात्मिकता के स्तर पर खोजा जाना चाहिए।
जीवन और मृत्यु का प्रकृति का अपरिवर्तनीय नियम: डॉ. राजीव गहलोत की संवेदनशील कहानी
जोधपुर के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. राजीव गहलोत, का अचानक निधन पूरे चिकित्सा समुदाय और समाज के लिए एक गहरी क्षति है।
उनकी मृत्यु न केवल चिकित्सा जगत के एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को खोने का प्रतीक है, बल्कि जीवन की नश्वरता का एक कठोर संदेश भी है।
जीवन और मृत्यु का चक्र
गुरु जंभेश्वर भगवान ने 500 साल पहले कहा था, “जड़ीया बूटी जे जग जीव तो वेद क्यों मर जाए।”
यह उपदेश गहराई से इस सत्य को प्रकट करता है कि चाहे कितनी भी चिकित्सा प्रगति हो, चाहे कितनी भी औषधियां हों, प्रकृति के नियमों से कोई अछूता नहीं रह सकता।
जो जड़ी-बूटियां जीवन देती हैं, वे भी मृत्यु को रोक नहीं सकतीं।
डॉ. गहलोत के जीवन से जुड़े इस दुःखद प्रसंग ने इस तथ्य को एक बार फिर रेखांकित किया है।
दो दिन पहले वे एक विवाह समारोह में हंसते-मुस्कुराते दिखे, और निधन वाले दिन खुद कार चलाकर अस्पताल आए।
एक डॉक्टर होने के नाते वे अपनी स्थिति की गंभीरता को जानते थे, और उनके इलाज के लिए शहर के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर मौजूद थे।
बावजूद इसके, उनकी प्लेटलेट्स का तेजी से गिरना और फिर अचानक मृत्यु, यह दिखाता है कि मृत्यु कभी-कभी चिकित्सा विज्ञान और इंसानी प्रयासों से परे होती है।
चिकित्सा विज्ञान और मृत्यु का संघर्ष
डॉक्टर, जो दूसरों को जीवनदान देते हैं, खुद भी इस अनिश्चितता से अछूते नहीं हैं।
Sudden Cardiac Death, Pulmonary Embolism, Silent Ischemia, और Anaphylaxis जैसी जटिलताएं ऐसी परिस्थितियां हैं, जहां सेकंडों में जीवन समाप्त हो सकता है।।
लेकिन जब यह किसी डॉक्टर के साथ होता है, तो यह एक गहरा संदेश छोड़ता है: “जीवन और मृत्यु पर किसी का नियंत्रण नहीं है।”
डॉ. गहलोत की मृत्यु अगर किसी सामान्य मरीज के साथ होती, तो शायद अस्पताल को कानूनी दांव-पेच, मीडिया ट्रायल, और सामाजिक दबावों का सामना करना पड़ता।
लेकिन यह घटना स्वयं यह दिखाती है कि चिकित्सा के पास सब कुछ होते हुए भी प्रकृति के सामने इंसान असहाय है।
गुरु जंभेश्वर का संदेश और आज का संदर्भ
गुरु जंभेश्वर भगवान का संदेश—”प्रकृति का सम्मान करो, सत्य और सेवा का पालन करो”—आज भी प्रासंगिक है।
वेद और चिकित्सा हमें यह सिखाते हैं कि जीवन अनमोल है, लेकिन यह नश्वर भी है।
जो लोग जीवन को बचाने के लिए जड़ी-बूटियां बेचते हैं या एलोपैथी में उन्नत चिकित्सा करते हैं, वे भी मृत्यु से परे नहीं जा सकते।
डॉ. गहलोत ने अपने जीवन में अनगिनत मरीजों को बचाया, लेकिन उनकी मृत्यु यह दिखाती है कि चिकित्सा विज्ञान की शक्ति भी सीमित है।
समाज के लिए संदेश
डॉ. गहलोत की मृत्यु हमें जीवन के अस्थायित्व का महत्व समझाती है।
डॉक्टर्स पर भरोसा रखें: वे अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, लेकिन वे भी इंसान हैं।
मेडिकल साइंस को दोष न दें: कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिन पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता।
जीवन को गहराई से समझें: मृत्यु का सामना करने पर जीवन का असली महत्व समझ में आता है।
अंतिम शब्द
डॉ. राजीव गहलोत को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
उनका जीवन हमें सेवा, समर्पण और विज्ञान के प्रति आस्था का संदेश देता है।
उनकी मृत्यु हमें याद दिलाती है कि इस दुनिया में कोई अजर-अमर नहीं है।
भगवान से प्रार्थना है कि वे उनके परिवार और दोस्तों को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति दें।