Medical field me frji vade ka Maya jaal

 

 

 

 

भारत में मेडिकल फील्ड में फर्जीवाड़ा: अतीत से वर्तमान तक एक गंभीर समीक्षा

 

फर्जी डॉक्टर बनने का गोरखधंधा: एक खतरनाक परिदृश्य

 

हाल ही में गुजरात के सूरत में एक ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ जिसने 2002 से अब तक लगभग 1200 लोगों को फर्जी मेडिकल डिग्रियां दीं।

इलेक्ट्रो होमियोपैथी के नाम पर यह गिरोह 70,000 रुपये लेकर ऐसे लोगों को डॉक्टर बना रहा था, जो मेडिकल साइंस के बारे में बेहद कम जानते थे।

इस गिरोह का पर्दाफाश तब हुआ जब एक फर्जी डॉक्टर की लापरवाही के कारण मासूम बच्ची की मौत हो गई।

 

इस तरह के मामले चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे बड़े नैतिक पतन और कमजोर निगरानी प्रणाली की ओर इशारा करते हैं।

 

 

 

व्यापम से लेकर NEET तक: अतीत के प्रमुख घोटाले

 

गुजरात की यह घटना अतीत के उन बड़े घोटालों की याद दिलाती है जो चिकित्सा क्षेत्र को हिला चुके हैं:

 

1. व्यापम घोटाला (2013):

मध्य प्रदेश के व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले में फर्जी परीक्षार्थियों के माध्यम से मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाया गया

। इसमें सरकारी अधिकारियों और राजनीतिज्ञों की मिलीभगत भी उजागर हुई।

 

 

2. AIIMS पेपर लीक (2017):

AIIMS पीजी प्रवेश परीक्षा का पेपर लीक होने से तकनीकी धोखाधड़ी का मामला सामने आया। उम्मीदवारों को उत्तर परीक्षा के दौरान ही भेजे गए।

 

 

3. NEET में गड़बड़ी के मामले (2014, 2015, 2016, 2018 और 2021):

कई वर्षों तक NEET परीक्षाओं में पेपर लीक और फर्जी उम्मीदवारों का मामला सामने आया।

इसने यह सिद्ध किया कि चिकित्सा प्रवेश प्रणाली में गहरी खामियां हैं।

 

 

 

 

 

चिकित्सा शिक्षा में सुधार की दिशा: NMC 2020

 

चिकित्सा क्षेत्र में सुधार के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) अधिनियम, 2020 लागू किया गया। इसमें कई महत्वपूर्ण पहलें शामिल हैं:

 

1. NEXT परीक्षा:

MBBS के बाद सभी छात्रों को ‘नेशनल एग्जिट टेस्ट’ पास करना होगा, जो उनकी योग्यता प्रमाणित करेगा।

 

 

2. फर्जी डिग्रियों पर रोक:

चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के लिए NMC की स्वीकृति अनिवार्य की गई है।

 

 

3. तकनीकी निगरानी:

प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

समाज की भूमिका और जागरूकता की आवश्यकता

 

जब तक समाज यह जिम्मेदारी नहीं उठाता कि भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करे और स्वयं भी इसमें शामिल न हो, तब तक यह समस्या बनी रहेगी।

जनता को यह समझना होगा कि केवल प्रमाणित डॉक्टरों से ही इलाज कराना उनके स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।

 

चिकित्सा क्षेत्र में सुधार के लिए कठोर कानून, सख्त निगरानी, और तकनीक का उपयोग जरूरी है।

लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि लोग जागरूक बनें और ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं।

 

भ्रष्टाचार से लड़ना केवल कानून की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है

 

 

 

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