कोविड वैक्सीन और अचानक मृत्यु के मिथक: तथ्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया ने एक अभूतपूर्व वैक्सीनेशन अभियान देखा। इसने लाखों लोगों को संक्रमण और मृत्यु के खतरे से बचाया। लेकिन हाल के वर्षों में युवाओं में अचानक मृत्यु और हृदयघात के बढ़ते मामलों ने समाज में एक चिंता पैदा की है।
कुछ लोग इसका संबंध कोविड वैक्सीन से जोड़ते हैं। इस मुद्दे पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने व्यापक अध्ययन किया है, जिसकी रिपोर्ट ने इन दावों को खारिज करते हुए सटीक तथ्य प्रस्तुत किए हैं।
क्या कहती है ICMR की रिपोर्ट?
ICMR के शोध के अनुसार, कोविड वैक्सीन और अचानक मृत्यु के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है। बल्कि, वैक्सीन ने मृत्यु और गंभीर जटिलताओं के खतरे को कम किया है। ICMR की रिपोर्ट में बताया गया कि:
वैक्सीन का सकारात्मक प्रभाव: कोविड वैक्सीन लेने वाले व्यक्तियों में गंभीर संक्रमण और मृत्यु की संभावना गैर-वैक्सीनेटेड व्यक्तियों की तुलना में कम पाई गई।
मौत के प्रमुख कारण: जिन मामलों में युवाओं की अचानक मृत्यु हुई, उनके पीछे मुख्य रूप से अन्य कारण जिम्मेदार पाए गए, जैसे:
1. जीवनशैली संबंधी समस्याएं: अनियमित खानपान, व्यायाम की कमी और मानसिक तनाव।
2. पारिवारिक इतिहास: हृदय संबंधी बीमारियों का पारिवारिक इतिहास।
3. अत्यधिक शराब और शारीरिक मेहनत: मौत से पहले अत्यधिक शराब का सेवन या जरूरत से ज्यादा शारीरिक गतिविधियां।
4. कोविड संक्रमण की जटिलताएं: कोविड संक्रमण के दौरान रक्त के थक्के जमना, सूजन और दिल की मांसपेशियों की कमजोरी जैसी समस्याएं।
कोविड वैक्सीन से संबंधित मृत्यु के आंकड़े
ICMR और एम्स के अध्ययनों के अनुसार:
अब तक भारत में कोविड वैक्सीन के कारण मृत्यु का प्रमाणिक आंकड़ा 1% से भी कम है।
वैक्सीनेटेड और गैर-वैक्सीनेटेड व्यक्तियों के बीच मृत्यु दर की तुलना में वैक्सीनेशन ने गंभीर जटिलताओं और मृत्यु दर को 10-15% तक कम किया है।
2023 तक, भारत में कोविड वैक्सीन की 200 करोड़ से अधिक खुराक दी गईं। इनमें से गंभीर प्रतिकूल घटनाओं के मामले 0.002% ही सामने आए।
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद में इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि:
1. वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है।
2. सरकार ने गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) से लड़ने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NCD) के तहत कई पहल की हैं, जिनमें हृदय रोगों की रोकथाम और इलाज शामिल है।
3. विशेष स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना:
724 जिला NCD क्लीनिक
210 कार्डियक केयर यूनिट
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्डियोलॉजी सुविधाएं
कोविड संक्रमण और हृदय स्वास्थ्य
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि:
कोविड-19 संक्रमण से हृदय संबंधी समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है।
वायरस के कारण रक्त के थक्के जमने, सूजन और दिल की मांसपेशियों की कमजोरी जैसे जोखिम बढ़ सकते हैं।
यह प्रभाव लंबे समय तक कोविड (Long COVID) के तहत देखा गया है।
हालांकि, इन जटिलताओं का वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं है। बल्कि, वैक्सीन ने इन जोखिमों को कम करने में मदद की है।
समाधान और जागरूकता
सरकार और स्वास्थ्य संगठनों ने युवाओं में हृदय संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए कई पहल की हैं:
1. स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना:
देशभर में 724 जिला स्तर के NCD क्लीनिक और कार्डियक यूनिट।
AIIMS और मेडिकल कॉलेजों में उन्नत सुविधाएं।
2. सस्ती चिकित्सा सुविधाएं:
निजी और सरकारी अस्पतालों में सस्ते इलाज की व्यवस्था।
3. जागरूकता अभियान:
नियमित स्वास्थ्य जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर जोर।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि समाज में वैक्सीन को लेकर फैले मिथकों को दूर करना आवश्यक है।
वैक्सीन से जुड़े प्रतिकूल प्रभाव बहुत ही दुर्लभ हैं।
अचानक मृत्यु के अधिकतर मामलों में कारण खराब जीवनशैली, पारिवारिक इतिहास, या कोविड संक्रमण की जटिलताएं होती हैं।
निष्कर्ष
ICMR की रिपोर्ट और सरकार के बयान यह स्पष्ट करते हैं कि कोविड वैक्सीन अचानक मृत्यु का कारण नहीं है।
वैक्सीन ने गंभीर संक्रमण और मृत्यु दर को कम किया है।
मौतों के पीछे प्रमुख कारण खराब जीवनशैली, पारिवारिक बीमारियां और कोविड संक्रमण की गंभीरता हैं।
यह समय है कि हम वैज्ञानिक तथ्यों पर विश्वास करें, जागरूक रहें, और स्वस्थ
जीवनशैली अपनाएं। वैक्सीन से जुड़े मिथकों पर ध्यान देने के बजाय सही जानकारी और स्वस्थ आदतों को अपनाकर जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें।
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