“Israel’s Control Over Mount Hermon: movement in the Middle East”

हरमन माउंट पर"Israel's Control Over Mount Hermon: movement in the Middle East" इजरायल का कब्जा: ऐतिहासिक और भविष्य के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण

 

परिचयIsrael’s Control Over Mount Hermon: big movement in middle east

हरमन माउंट (Mount Hermon) पर इजरायल का हालिया कब्जा मध्य पूर्व के जियोपॉलिटिक्स में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह कब्जा न केवल क्षेत्रीय विवादों की जड़ों को उजागर करता है, बल्कि भविष्य में इसके व्यापक प्रभावों को भी दर्शाता है। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और मौजूदा संदर्भ में, यह कदम इजरायल और उसके पड़ोसी देशों के बीच तनाव को बढ़ाने की संभावना रखता है।

 

 

 

हरमन माउंट का ऐतिहासिक महत्व

 

हरमन माउंट का उल्लेख इतिहास, धर्म और भू-राजनीतिक संदर्भों में मिलता है। यह पर्वत तीन देशों – सीरिया, लेबनान और इजरायल – के बीच एक रणनीतिक और धार्मिक स्थल है।

 

1. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

हरमन माउंट का उल्लेख यहूदी, ईसाई और इस्लामी ग्रंथों में मिलता है। इसे पवित्र स्थल माना जाता है।

 

 

 

यहूदी धर्म में इसे आध्यात्मिक स्थलों में से एक माना गया है।

ईसाई मान्यताओं में, हरमन माउंट को एक रहस्यमयी और ऐतिहासिक स्थल कहा गया है।

इस्लाम में भी इस पर्वत का जिक्र मिलता है, जिससे इसकी सांस्कृतिक संवेदनशीलता बढ़ती है।

2. भौगोलिक और सामरिक महत्व:

हरमन माउंट की ऊंचाई और स्थान इसे सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह गोलन हाइट्स का हिस्सा है, जो इजरायल और सीरिया के बीच दशकों से विवाद का कारण रहा है।

हरमन माउंट पर इजरायल का कब्जा और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

 

इजरायल का हरमन माउंट पर नियंत्रण स्थापित करना सिर्फ एक भू-राजनीतिक कदम नहीं है, बल्कि यह उसकी सुरक्षा और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।

 

इजरायल के हित

सैन्य दृष्टिकोण: पर्वत की ऊंचाई और स्थान से इजरायल को क्षेत्रीय निगरानी में बढ़त मिलती है।

जल स्रोत: यहां से निकलने वाले जल स्रोत इजरायल की जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सुरक्षा: हरमन माउंट से इजरायल लेबनान और सीरिया की गतिविधियों पर नज़र रख सकता है।

सीरिया पर प्रभाव

सीरिया के लिए यह क्षेत्र सामरिक और राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण था

गृहयुद्ध और विदेशी हस्तक्षेपों से पहले ही कमजोर सीरिया के लिए यह कब्जा बड़ा झटका है

इस घटना ने सीरिया की सीमाओं और संप्रभुता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

लेबनान और हिज़बुल्लाह पर असर

हिज़बुल्लाह के ठिकानों और गतिविधियों पर इजरायल की निगरानी बढ़ेगी।

लेबनान के साथ सीमा विवाद और तनाव बढ़ सकते हैं।

ईरान की भूमिका

ईरान, जो हिज़बुल्लाह और सीरिया का समर्थन करता है, इस कब्जे को अपने हितों के खिलाफ मानता है।

इजरायल और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष टकराव और तीव्र हो सकता है।

भविष्य में मध्य पूर्व पर असर

1. क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि

हरमन माउंट पर कब्जा इजरायल और उसके पड़ोसी देशों के बीच तनाव को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

 

सीरिया अपने खोए हुए क्षेत्र को वापस लेने की कोशिश कर सकता है।

लेबनान और इजरायल के बीच सैन्य झड़पें बढ़ सकती हैं।

2. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

अमेरिका का समर्थन: अमेरिका इजरायल के इस कदम का समर्थन कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय विवाद और गहरा सकते हैं।

रूस और अन्य सहयोगी: रूस, जो सीरिया का समर्थन करता है, इसे इजरायल का आक्रमक कदम मान सकता है।

3. ईरान-इजरायल टकराव

ईरान, अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए आक्रामक कदम उठा सकता है। इससे मध्य पूर्व में बड़े संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।

4. फिलिस्तीन पर प्रभाव

भले ही हरमन माउंट फिलिस्तीन से सीधे जुड़ा नहीं है, लेकिन इजरायल की सैन्य शक्ति का यह प्रदर्शन फिलिस्तीनी समूहों के मनोबल को प्रभावित कर सकता है।

संभावित समाधान

हरमन माउंट पर कब्जे से उत्पन्न संकट को सुलझाने के लिए संवाद और कूटनीतिक प्रयास ही एकमात्र उपाय हैं।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका: अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।

सीधी वार्ता: इजरायल, सीरिया और लेबनान के बीच सीधी वार्ता से समाधान संभव है।

निष्कर्ष

हरमन माउंट पर इजरायल का कब्जा मध्य पूर्व की जियोपॉलिटिक्स में एक नया अध्याय जोड़ता है।

सामरिक दृष्टि से यह इजरायल की स्थिति को मजबूत करता है।

क्षेत्रीय तनाव और संघर्ष की संभावना को बढ़ाता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह विवादों को और जटिल बना सकता है।

इस घटना के दूरगामी प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि मध्य

पूर्व में स्थिरता केवल कूटनीति और आपसी सहमति से ही आ सकती है। अन्यथा, यह क्षेत्र एक और बड़े युद्ध की कगार पर पहुंच सकता है।Click here

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