Akhil bhartiy bishnoi mahasbha or samrathal foundation : अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा और समराथल फाउंडेशन तुलनात्मक अध्ययन
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा और समराथल फाउंडेशन: तुलनात्मक अध्ययन और समाज के लिए दिशा
परिचय
बिश्नोई समाज पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए अपनी ऐतिहासिक प्रतिबद्धता और बलिदान के लिए जाना जाता है। यह समाज न केवल अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने में अद्वितीय है, बल्कि अपने परोपकारी दृष्टिकोण के कारण भी पहचान रखता है। वर्तमान समय में, इस समाज के दो प्रमुख संस्थान— अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा और समराथल फाउंडेशन, समाज की उन्नति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। हालांकि, इनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं में अंतर है।
इस लेख में इन दोनों संस्थाओं के बीच तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा, जिसमें मानवतावादी दृष्टिकोण और वर्तमान समय में समाज के लिए शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और नेतृत्व की प्रासंगिकता को ध्यान में रखा गया है।
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अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा
उत्पत्ति और उद्देश्य
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा (AIBM) का गठन बिश्नोई समाज के पारंपरिक और धार्मिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए किया गया था। यह संगठन बिश्नोई धर्म के संस्थापक गुरु जंभेश्वर जी महाराज की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करता है।
मुख्य कार्यक्षेत्र
1. धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षण
बिश्नोई धर्म के 29 नियमों का पालन करने और उन्हें प्रचारित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
समाज के प्रमुख धार्मिक आयोजनों और मेलों का आयोजन।
2. सामाजिक सुधार
बाल विवाह उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह, और महिला सशक्तिकरण।
समाज के वंचित वर्गों को राहत प्रदान करना।
3. पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण
वन्यजीवों और पेड़ों की रक्षा के लिए जागरूकता कार्यक्रम।
पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्य।
वर्तमान चुनौतियां
1. अध्यक्ष पद की खींचतान
महासभा में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान, खासकर कुलदीप बिश्नोई और वर्तमान अध्यक्ष देवेंद्र बुढ़िया के बीच, महासभा की कार्यक्षमता को बाधित कर रही है। यह संघर्ष केवल व्यक्तिगत लाभ और सत्ता केंद्रित राजनीति को दर्शाता है।
2. आंतरिक राजनीति और निष्पक्षता का अभाव
महासभा में निष्पक्ष लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अभाव स्पष्ट है।
समाज के सदस्यों में विभाजन बढ़ रहा है।
3. समाज की नई चुनौतियों से जुड़ाव की कमी
महासभा अभी भी पारंपरिक मुद्दों पर अधिक केंद्रित है और समाज के युवा वर्ग, शिक्षा, और तकनीकी विकास के प्रति अपेक्षाकृत उदासीन है।
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समराथल फाउंडेशन
स्थापना और उद्देश्य
समराथल फाउंडेशन की स्थापना 2017 में समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से की गई थी। इसका नाम बिश्नोई धर्म के पवित्र स्थल “समराथल” से प्रेरित है, जो गुरु जंभेश्वर जी की शिक्षाओं का प्रतीक है।
मुख्य कार्यक्षेत्र
1. शिक्षा का प्रसार
कक्षा 10वीं, 12वीं और स्नातक स्तर के छात्रों के लिए मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता।
कमजोर वर्गों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना।
शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना।
2. पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण
वन्यजीवों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए सक्रिय कार्यक्रम।
पेड़ों और वनस्पतियों की सुरक्षा के लिए जन जागरूकता।
3. सामाजिक और नैतिक मूल्य
समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास।
अंधविश्वास और पाखंड को खत्म करने के लिए शिक्षा का माध्यम अपनाना।
वर्तमान कार्य और उपलब्धियां
जोधपुर में एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की योजना।
17 नवंबर को शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन, जिसमें समाज के प्रबुद्ध जन और शिक्षकों ने भाग लिया और शिक्षा के महत्व पर विचार विमर्श किया।
समाज के छात्रों को डॉक्टर, इंजीनियर, लॉयर, और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में सशक्त बनाने के लिए योजनाएं।
चुनौतियां
1. वित्तीय संसाधनों की कमी
संस्थान के विस्तार के लिए पर्याप्त धन का अभाव।
2. समाज के परंपरावादी वर्ग का समर्थन न मिलना
परंपरावादी दृष्टिकोण वाले लोग इसे महासभा के समकक्ष स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
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तुलनात्मक विश्लेषण
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समाज के लिए वर्तमान समय में शिक्षा का महत्व
बिश्नोई समाज के विकास में शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है। शिक्षा न केवल समाज के बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि उन्हें पर्यावरण, तकनीकी और सामाजिक संरचना में बेहतर योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
समराथल फाउंडेशन की भूमिका
यह फाउंडेशन कमजोर वर्ग के छात्रों को आर्थिक और शैक्षिक सहायता प्रदान कर रहा है।
जोधपुर में शैक्षणिक संस्थान बनाने की योजना समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ाने का प्रमाण है।
यह पहल समाज के युवाओं को डॉक्टर, इंजीनियर, लॉयर, और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने का मौका देगी।
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की भूमिका
महासभा को भी शिक्षा को प्राथमिकता देकर नए क्षेत्रों में काम करना चाहिए।
शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सुधार के प्रयासों को मजबूत किया जा सकता है।
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भविष्य के लिए सुझाव
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के लिए
1. निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव
अध्यक्ष पद के लिए निष्पक्ष चुनाव कराकर राजनीतिक हस्तक्षेप को खत्म किया जाए।
दलविहीन कार्यकारिणी का गठन हो।
2. आधुनिक दृष्टिकोण अपनाना
शिक्षा, तकनीकी और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें।
3. साझा मंच पर काम करना
समराथल फाउंडेशन जैसे संगठनों के साथ मिलकर समाज के लिए काम करें।
समराथल फाउंडेशन के लिए
1. वित्तीय स्थिरता
भामाशाहों और समाज के धनाढ्य वर्ग से सहायता लेकर संस्थान का विस्तार करें।
2. सामाजिक जुड़ाव
ग्रामीण और परंपरावादी वर्ग को जोड़ने के प्रयास करें।
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निष्कर्ष
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा और समराथल फाउंडेशन, दोनों ही बिश्नोई समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। जहां महासभा परंपरागत और धार्मिक दृष्टिकोण को बनाए रखती है, वहीं समराथल फाउंडेशन आधुनिक शिक्षा और तकनीकी विकास की ओर ध्यान केंद्रित करता है। दोनों संस्थाओं को समाज की भलाई के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए, जिससे बिश्नोई समाज का भविष्य और भी उज्ज्वल हो सके।
ज़रूरतमंद प्रतिभाओं को तरासने वाली एक मात्र सामाजिक संस्था SFS।
बेडोल महासभा से इस पारदर्शी संस्था की तुलना करना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता।
महासभा- उद्देश्यविहीन और गंदी राजनीति से प्रेरित संस्था है
Sfs के स्पष्ट उद्देश्य है और समर्पित कार्यकारिणी द्वारा पूर्णतः पारदर्शीता से काम किया जा रहा है जिससे प्रेरणा लेकर अन्य संस्थाएँ भी अपने उद्देश्यों के प्रति सजग हुई है।
बिलकुल सही फरमाया आपने।
Samrathal foundation jodhpur me acha Kary kar raha hai