Bhagvan birsa munda ki jayanti, jite quiz भगवान बिरसा मुंडा की जयंती, जीते क्विज.
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा – जनजातीय नायक जी क्विज ।
- भारत सरकार ने सन 2021 मे, सभी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करने और सांस्कृतिक विरासत में उनके योगदान को याद करने, स्वीकार करने एवं आने वाली पीढ़ी को हमारी सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और जनजाति नेता भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है।
भारत सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को एवं जनजातीय गौरव को उजागर करने, उनके क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक विकास के प्रयासों को फिर से सक्रिय करने के लिए सरकार ने इतिहास और संस्कृति में जनजातीय समुदायों के योगदान की याद में नई योजनाएं और मिशन शुरू करने के साथ ही एक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है।
इस प्रतियोगिता का आयोजन भी माय गव पर भगवान बिरसा मुंडा जी के बारे में 300 सेकंड में 10 प्रश्न के उत्तर देने।
जिसमें पहला पुरस्कार 10000₹
दूसरा पुरस्कार 5000₹।
तीसरा पुरस्कार ₹2000। इसके अलावा सांत्वना पुरस्कार के रूप में 100, प्रतिभागियों को ₹1000 के पुरस्कार दिए जाएंगे। क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए शर्तें:
1. क्विज में भारतीय नागरिक भाग ले सकेंगे।
2.यह एक समय बाद क्विज है, जिसमें 10 प्रश्नों के उत्तर 300 सेकंड में देने होंगे।
3.इसमें कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं है.
4 यह बारह भाषाओं में उपलब्ध होगी। अंग्रेजी, हिंदी, आसामी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगू।
5.आपको अपना नाम ईमेल पता, टेलीफोन नंबर और पोस्टल एड्रेस देना होगा। 6.अपनी संपर्क जानकारी सबमिट करके आप इन जानकारी को क्विज के लिए प्रचार सामग्री, प्राप्त करने के लिए भी इस्तेमाल करने की सहमति देंगे।
7.माय गव प्रोफाइल पर मौजूद यूजरनेम में पुरस्कार राशि, के लिए बैंक अकाउंट के नंबर, नाम से मेल खाना चाहिए।
8.क्विज में प्रश्न रैंडम पूछे जाएंगे
9. 10 प्रश्न पूछे जाएंगे और 5 मिनट का, समय होगा। आप जैसे ही स्टार्ट क्विज बटन पर क्लिक करेंगे quiz शुरू हो जाएगी। एक बार सबमिट करने के बाद वापस नहीं ली जाएगी।
क्विज प्रतियोगिता में नियम और शर्तें भारत सरकार के द्वारा जारी प्रतियोगिता की समिति की होगी। किसी भी जानकारी के लिए कॉन्टैक्ट एट माय गव. ईन. पर सूचित किया जा सकता है।
बिरसा मुंडा जी के बारे में जानकारी ।
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था एवं 9 जून 1900 को स्वर्गवास। भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोकनायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी की अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी जो अब झारखंड में एक आदिवासी धार्मिक आंदोलन का नेतृत्व किया। जिसमें वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उनको भगवान मानते हैं। बिरसा मुंडा जी को धरती आबा के नाम से भी जाना जाता है
बिरसा मुंडा का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम सुगना और माता का नाम कर्मी था। प्राथमिक पढ़ाई के बाद उन्हें चाईबासा विद्यालय में पढ़ाई करने के लिए भेजा गया। बिरसा मुंडा के पिता ने स्कूल में यह सोचकर भर्ती किया कि अच्छी पढ़ाई होगी. लेकिन स्कूल में मिशनरी के पथ पर जोर दिया जाने लगा था।
- भगवान बिरसा मुंडा को आदिवासी विद्रोह के नायक के रूप में जाना जाता है 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों की कुटिल नीति ने आदिवासियों को लगातार जल जंगल और जमीन से बेदखल करने के कोशिश, प्रयासों को आदिवासी विद्रोह करने लगे लेकिन संख्या में, आदिवासी कम होने के कारण अंग्रेज हमेशा दबा देते थे।
- इसका जवाब बिरसा मुंडा जी ने 1895 में अंग्रेजों की लागू की गई जमींदारी प्रथा और राज्य राजस्व व्यवस्था के खिलाफ एक आंदोलन छेड़ दिया। और जल जंगल जमीन की लड़ाई छेड़ दी। यह मात्र विद्रोह नहीं था,। बल्कि आदिवासी अस्मिता संस्कृति स्वायत्तता और संप्रभुता को बचाने के लिए एक महासंग्राम था। और देश की आजादी में एक मील का पत्थर था। इसलिए विद्रोह से सीखते हुए बिरसा मुंडा जी ने पहले आदिवासियों को संगठित किया। फिर महा विद्रोह उलगुलान। आदिवासी पुनरुत्थान के क्षेत्र में बिरसा मुंडा जी ने अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों को फैलाई जा रहे भ्रम को दूर किया। अंग्रेज लोग, बीमारी, गरीबी, काल, भुखमरी को ईश्वर की देन बताया गया था।। लेकिन मुंडा यूजी ने इन सबको विरोध किया। और आदिवासियों को जागृत किया। उन्होंने बताया कि चेचक कैसे होता है., यह बीमारी है, ईश्वरीय प्रकोप नहीं है। और अपने आदिवासी संस्कृति को बचाने और रक्षा करने के लिए उपाय बताएं।
- उन्होंने आदिवासी संस्कृति और अपने धार्मिक अस्मिता को अपनाने के लिए उपाय बताएं। अंग्रेजों के षड्यंत्र के तहत उन्हें पकड़ कर के जहर दे दिया गया। मिशनरी लोगों ने जो नागपुर क्षेत्र में आदिवासी धर्मांतरण का सपना देखा था। उसमें बिरसा मुंडा सबसे बड़े बाधक बन गए। और उन्हें पकडकर 3 मार्च को षड्यंत्र पूर्व पकड़ लिया। किसी अपने ने हीं ₹500 के लालच में उनके गुप्त ठिकाने के बारे में बता दिया। और वह पकड़े गए। लगभग 400 लोगों को दोषी बनाया गया। उन्हें जिन धाराओं के तहत पकड़ा गया था। उसमें कोई सजा नहीं होनी थी। लेकिन षड्यंत्र के अंतर्गत 9 जून की सुबह उन्हें उल्टी होने लगी। और कुछ क्षण में वह बेहोश हो गए। डॉक्टर को बुलाया गया और डॉक्टर द्वारा चेक करने पर उनकी नस बंद थी,। उनके पानी में विषैला पदार्थ मिला दिया गया था। इतिहासकार ऐसे जानकारी देते हैं। बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, और पश्चिम बंगाल में आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। बिरसा मुंडा की समाधि रांची में कोकर के निकट है। उनका स्टेचू भी लगा है। उनके स्मृति में 15 नवंबर को भारत सरकार ने राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है। और इसे मनाया जाता है।
Very good knowledge provide by team of education department News on birth ceremony of God Birsa Munda
Happy birsa Munda jayanti
Happy 😁 Birsa Munda jayanti
Thanks you for your comments on God birsa Munda.