गुकेश डोमराजू: भारतीय शतरंज का नया सितारा
गुकेश डोमराजू, जिन्हें “भारत के चमत्कारिक बच्चे” के नाम से पहचाना जाता है, ने किशोरावस्था में ही शतरंज की दुनिया में अभूतपूर्व सफलता हासिल की।
29 मई 2006 को चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मे, गुकेश ने अपनी बुद्धिमत्ता और समर्पण से शतरंज की दुनिया में ऐसे मुकाम हासिल किए हैं, जो प्रेरणादायक हैं।
प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा
गुकेश का शतरंज के प्रति लगाव उनके बचपन में ही उभर आया। उनके पिता, डॉ. राजिनिकांत डोमराजू (ईएनटी सर्जन) और माँ, पद्मावती (माइक्रोबायोलॉजिस्ट), ने उनके इस रुचि को पहचाना और प्रोत्साहित किया।
सिर्फ सात साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू करने वाले गुकेश ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से सबको प्रभावित किया।
उनके माता-पिता ने उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली कोचिंग और प्रतिस्पर्धी माहौल में प्रशिक्षण का अवसर दिया।
ग्रैंडमास्टर बनने की यात्रा
2019 में मात्र 12 साल, 7 महीने, और 17 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीतकर, गुकेश दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने।
उनकी इस सफलता में तीन ग्रैंडमास्टर नॉर्म्स और 2500 Elo रेटिंग का बड़ा योगदान रहा।
उन्होंने इस दौरान अपने प्रदर्शन से साबित कर दिया कि वे न केवल उभरते हुए खिलाड़ी हैं, बल्कि शतरंज की दुनिया में भारत का भविष्य हैं।
ओलंपियाड 2022 और ऐतिहासिक प्रदर्शन
2024ओलंपियाड में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता
चेन्नई में आयोजित 2022 शतरंज ओलंपियाड में गुकेश ने अपराजेय प्रदर्शन करते हुए 9/11 स्कोर किया। अनुभवी खिलाड़ियों के खिलाफ दमदार प्रदर्शन किया।, 2022जिसमें अमेरिका के फेबियानो कारुआना पर जीत विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
2024 बुडापेस्ट ओलंपियाड में उन्होंने व्यक्तिगत खेल में गोल्ड जीता और भारतीय टीम का नेतृत्व किया।
मैग्नस कार्लसन को हराने वाला इतिहास
2023 में, गुकेश ने शतरंज के दिग्गज मैग्नस कार्लसन को हराकर वैश्विक सुर्खियाँ बटोरीं। यह उनकी मेहनत और रणनीतिक क्षमता का प्रमाण था।
FIDE रैंकिंग और भविष्य की राह
2750+ Elo रेटिंग और FIDE की शीर्ष 10 सूची में स्थान पाकर गुकेश ने 2023 में एक नई ऊँचाई छूई। उनका अगला लक्ष्य वर्ल्ड चेस चैंपियन बनना है।
प्रेरणा का स्रोत
गुकेश डोमराजू की सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस रखते हैं। उनकी कहानी बताती है कि समर्पण और सही दिशा में प्रयास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
यह न केवल भारतीय शतरंज की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए एक संदेश है कि भारत शतरंज की दुनिया में अब एक नई ताकत बनकर उभरा है।
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