Israel’s Control Over Mount Hermon: big movement in middle east
हरमन माउंट पर इजरायल का कब्जा: ऐतिहासिक और भविष्य के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण
परिचय
हरमन माउंट (Mount Hermon) पर इजरायल का कब्जा मध्य पूर्व में एक भू-राजनीतिक बदलाव का प्रतीक है।
मध्य पूर्व में इस घटना के दूरगामी प्रभाव न केवल क्षेत्रीय विवादों को बढ़ा सकते हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए समीकरण भी बना सकते हैं।
मध्य पूर्व में हरमन माउंट के ऐतिहासिक महत्व, इजरायल द्वारा इस पर कब्जा ,विश्व राजनीति में नए समीकरण बनाने की और नए कदम के रूप में देखा जा सकता है।
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हरमन माउंट का ऐतिहासिक महत्व
1. हरमन माउंट का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, इजरायल के लिए विशेष
हरमन माउंट को यहूदी, ईसाई और इस्लामी परंपराओं में पवित्र माना गया है।
यहूदी धर्म: इसे आध्यात्मिक स्थल के रूप में देखा गया है।
ईसाई धर्म: हरमन माउंट को ऐतिहासिक और रहस्यमय स्थल कहा गया है।
इस्लाम: इस पर्वत का उल्लेख कई इस्लामी ग्रंथों में मिलता है।
2. हरमन माउंट का भौगोलिक और सामरिक महत्व
हरमन माउंट की ऊंचाई (2,814 मीटर) और इसकी स्थिति इसे सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।
यह गोलन हाइट्स का हिस्सा है, जो दशकों से इजरायल और सीरिया के बीच विवाद का केंद्र रहा है।
इसकी ऊंचाई और रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्रीय निगरानी और सैन्य संचालन के लिए आदर्श बनाती है।
हरमन माउंट पर इजरायल का कब्जा और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
इजरायल के हित
सैन्य रणनीति: हरमन माउंट से इजरायल को पूरे क्षेत्र पर नजर रखने में मदद मिलती है।
जल स्रोत: यह पर्वत महत्वपूर्ण जल स्रोतों का आधार है, जो इजरायल की आपूर्ति के लिए उपयोगी हैं।
सुरक्षा मजबूती: लेबनान और सीरिया की गतिविधियों की निगरानी से इजरायल अपनी सीमाओं को अधिक सुरक्षित कर सकता है।
सीरिया पर प्रभाव
यह क्षेत्र सीरिया के लिए सामरिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था।
पहले से कमजोर सीरिया के लिए यह कब्जा एक बड़ा झटका है।
इससे उसकी सीमाओं और संप्रभुता पर प्रश्न खड़े होते हैं।
लेबनान और हिज़बुल्लाह पर हरमन माउंट को इसराइल द्वारा कब्जा लेने पर पड़ेगा असर
हिज़बुल्लाह, जो इजरायल का प्रमुख विरोधी है, उसकी गतिविधियों पर अब इजरायल की निगरानी बढ़ जाएगी।
लेबनान और इजरायल के बीच तनाव और सीमा विवाद बढ़ सकते हैं।
ईरान की मध्य पूर्व में भूमिक और हरमन माउंट पर इजरायली कब्जे से उनके लिए नया संकट
ईरान, जो सीरिया और हिज़बुल्लाह का समर्थन करता है, इस घटना को अपने हितों के लिए खतरा मानता है।
इससे ईरान और इजरायल के बीच अप्रत्यक्ष टकराव बढ़ सकता है।
भविष्य में मध्य पूर्व पर असर
1. क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि
हरमन माउंट पर इजरायल का कब्जा पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्तों को और बिगाड़ सकता है।
सीरिया खोए क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है।
लेबनान के साथ सैन्य झड़पों की संभावना बढ़ सकती है।
2. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका: इजरायल के इस कदम का समर्थन कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।
रूस: रूस, जो सीरिया का समर्थन करता है, इसे इजरायल की आक्रामकता मानेगा।
3. ईरान-इजरायल टकराव
ईरान, अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए अधिक आक्रामक कदम उठा सकता है।
इससे मध्य पूर्व में बड़े संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
4. फिलिस्तीन पर प्रभाव
हरमन माउंट भले ही फिलिस्तीन से सीधे जुड़ा न हो, लेकिन इजरायल की सैन्य शक्ति का यह प्रदर्शन फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों को कमजोर कर सकता है।
संभावित समाधान
1. संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र को इस विवाद को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण वार्ता की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
2. सीधी वार्ता
इजरायल, सीरिया और लेबनान के बीच संवाद और कूटनीति से समाधान निकाला जा सकता है।
निष्कर्ष :इजरायल Click here
हरमन माउंट पर इजरायल का कब्जा न केवल क्षेत्रीय भू-राजनीति को प्रभावित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद और तनाव को भी बढ़ा सकता है।
यह कदम इजरायल की सैन्य और सुरक्षा स्थिति को मजबूत करता है।
लेकिन इससे सीरिया, लेबनान और ईरान के साथ संबंधों में खटास और बढ़ेगी।
इस संकट का समाधान केवल
कूटनीति और संवाद से ही संभव है।
यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह क्षेत्र एक बड़े युद्ध की ओर अग्रसर हो सकता है।
हरमन माउंट का महत्व हिमाचल और गोलन की पहाड़ियों से भी कमतर नहीं हैं।Click here
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