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Khimvsar se danga jite, beniwal hare: खींवसर से रेवतराम डांगा जीते बेनीवाल हारे
- यहां हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) हार और भाजपा की जीत के कारणों का विश्लेषण विस्तार
हनुमान बेनीवाल की पार्टी की हार के कारण
1. स्थानीय मुद्दों पर कमजोर पकड़
RLP ने राज्य और केंद्र सरकार की आलोचना तो की, लेकिन वह स्थानीय मुद्दों को लेकर प्रभावी एजेंडा स्थापित नहीं कर पाई।
झुंझुनू जैसे क्षेत्रों में ग्रामीण जनता को यह भरोसा नहीं हुआ कि RLP उनकी समस्याओं का समाधान कर सकती है।
2. संगठनात्मक कमजोरी
भाजपा और कांग्रेस की तुलना में RLP का संगठन कमजोर है।
पार्टी के पास कार्यकर्ताओं और प्रचार तंत्र की कमी रही, जिससे जमीनी स्तर पर उसकी उपस्थिति कमजोर दिखाई दी।
3. केंद्र से दूरी बनाना
हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार की खुलकर आलोचना की।
इससे RLP को भाजपा समर्थक मतदाताओं का भरोसा खोना पड़ा।
उनकी यह रणनीति राष्ट्रीय पहचान बनाने में तो मददगार हो सकती है, लेकिन स्थानीय चुनावों में यह नकारात्मक साबित हुई।
4. तीसरे विकल्प के लिए समर्थन की कमी
राजस्थान की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस के बीच परंपरागत मुकाबले के कारण क्षेत्रीय पार्टियों को ज्यादा समर्थन नहीं मिलता।
RLP भी इस ट्रेंड को बदलने में सफल नहीं हो सकी।
5. भाजपा और कांग्रेस का आक्रामक प्रचार
दोनों राष्ट्रीय दलों ने RLP के खिलाफ रणनीतिक और आक्रामक प्रचार अभियान चलाए।
जातीय समीकरणों और मतदाताओं की प्राथमिकताओं को समझकर इन दलों ने अपनी पकड़ मजबूत बनाई।
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भाजपा की जीत के कारण
1. मोदी फैक्टर और राष्ट्रीय मुद्दे
राजस्थान के मतदाताओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का असर साफ नजर आया।
भाजपा ने राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और स्थिरता के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।
2. संगठित प्रचार और रणनीति
भाजपा का मजबूत संगठनात्मक ढांचा और बूथ स्तर पर प्रभावी रणनीति उसकी सफलता की बड़ी वजह बनी।
सोशल मीडिया का आक्रामक उपयोग और स्थानीय नेताओं की भागीदारी ने पार्टी को मजबूती दी।
3. कांग्रेस की कमजोरी
कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और नेतृत्व की कमजोरी का भाजपा ने पूरा फायदा उठाया।
कई कांग्रेस समर्थक मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में वोट दिया।
4. जातीय समीकरणों का लाभ
भाजपा ने प्रभावी ढंग से जातीय समीकरणों का उपयोग किया।
झुंझुनू और देवली-उनियारा जैसे क्षेत्रों में ऐसे समुदायों के प्रत्याशी उतारे जिनका स्थानीय प्रभाव अधिक था।
5. स्थानीय विकास का मुद्दा
भाजपा ने स्थानीय विकास, बुनियादी ढांचे और रोजगार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी।
मतदाताओं को भरोसा दिलाया गया कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारें मिलकर स्थायी विकास करेंगी।
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निष्कर्ष.
हनुमान बेनीवाल और उनकी पार्टी को यह चुनाव यह सिखाता है कि क्षेत्रीय दलों को स्थानीय स्तर पर प्रभावी पकड़ बनाने और बेहतर रणनीति अपनाने की जरूरत है।
वहीं भाजपा की जीत से स्पष्ट है कि उसने मतदाताओं की प्राथमिकताओं को सही ढंग से पहचाना और संगठनात्मक ताकत का प्रभावी उपयोग किया।
सातों विधानसभा का परिणाम इस प्रकार का.
1. झुंझुनू (Jhunjhunu)
विजेता: राजेंद्र भाम्बू (भाजपा)
वोट: 90,425
अंतर: +42,848
मुख्य हारने वाले:
अमित ओला (कांग्रेस) – 47,577
राजेंद्र सिंह गुढ़ा (स्वतंत्र) – 38,751
2. दौसा (Dausa)
विजेता: दीन दयाल (कांग्रेस)
वोट: 75,536
अंतर: +2,300
मुख्य हारने वाले:
जग मोहन (भाजपा) – 73,236
विप्रा गोयल (स्वतंत्र) – 1,369
3. देवली-उनियारा (Deoli-Uniara)
विजेता: राजेंद्र गुर्जर (भाजपा)
वोट: 1,00,599
अंतर: +41,211
मुख्य हारने वाले:.
नरेश मीणा (कांग्रेस) – 59,478
कस्तूर चंद मीणा – 31,385
4.रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सुखवंत सिंह भारतीय जनता पार्टी के 13736 मतों से विजय रहे।।
वहां पर इंडियन नेशनल कांग्रेस के आर्यन जुबेर को 95000 हजार मत मिले।
अंतर 13636 मतों से भारतीय जनता पार्टी के सुखवंत सिंह ने विजय प्राप्त की।
5. खींवसर विधानसभा क्षेत्र से रेवत राम दंगा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बिजी रहे उन्होंने अपने प्रतिदिन दी आरएलपी के कनिका बेनीवाल को 13 901 मतों से पराजित किया उनको 94727 मत मिले जबकि कांग्रेस के डॉक्टर रतन चौधरी को केवल 5454 मत मिले।
6 राजस्थान के सलूंबर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के शांता अमृतलाल मीणा ने विजय प्राप्त की।
उन्हें 84428 मत मिले। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी जितेश कुमार कटारा को 1285 से मतों से पराजित किया। मुकाबला मुकाबला बधाई नजदीकिरा और भारतीय जनता पार्टी की यह पांचवी सीट से उपचुनाव में जीत दर्ज की।
7. चौरासी विधानसभा क्षेत्र से भारतीय आदिवासी पार्टी के अनिल कुमार कटारा 24370 मतों से विजय हुए, उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के करी लाल को 64791 मत मिले।
इस प्रकार राजस्थान के उपचुनाव विधानसभा 2024 का परिणाम भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में सात विधानसभा क्षेत्र में से पांच पर भारतीय जनता पार्टी विजय रही जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में एवं एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी के खाते में गई आरएलपी को एक भी सीट नहीं मिली इस प्रकार इस विधानसभा में आरएलपी का एक भी विधायक नहीं होगा जबकि भारतीय आदिवासी पार्टी ने उपचुनाव में एक सीट प्राप्त कर कांग्रेस को अपने वोट बैंक के प्रति विचार करने को को मजबूर किया।
इन चुनाव परिणामों का राजस्थान की राजनीति पर दीर्घकालिक प्रभाव या अन्य विश्लेषण की आवश्यकता हो, तो आप अपनी रुचि साझा कर सकते हैं।