Neel Gaay ke bachade ko bachaya नीलगाय के बछड़े को बचाया.
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भीनमाल के पास भागल गांव में श्री श्रवण कुमार अध्यापक ने बताया कि आज सुबह BLO मीटिंग हेतु मैं भीनमाल आ रहा था, इस दरमियान शिकारी कुत्तों ने नीलगाय के बच्चे को काट दिया एवं उसके पैर को फ्रैक्चर कर दिया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई।
गुरुदेव जंभेश्वर ने जीवों के प्रति दया का भाव रखने के लिए उपदेश दिया हुआ है।
गुरु जंभेश्वर भगवान के श्री मुख से कहा गया कि
बिश्नोई धर्म के 29 नियमों में कहा गया है कि
,”जीव दया पालनी, रुख लिलो नहीं घाव.।।
श्री सरवन कुमार जी अध्यापक ने अपने धर्म का पालन करते हुए एवं जीव दया को देखते हुए नीलगाय के बच्चे को कुत्तों से छुड़वाकर नजदीक के रेस्क्यू सेंटर हातिम ताई के जोड़ में पहुंचाया.।
हमारे नित्य प्रति के जीवन में रोज आसपास घटनाओं से हम रूबरू होते हैं, कहीं पर मूक प्राणियों के साथ शिकारी कुत्तों द्वारा पीछा किया जाता है तो कहीं पर जानबूझकर शिकारी मानव द्वारा उनका घात लगाकर नुकसान पहुंचाया जाता है। उनको आघात पहुंचाया जाता है जिससे अपने आसपास नजर दौड़ने पर हमें पता लगता है कि जहां चारों तरफ खेतों में हिरण, नीलगाय खरगोश के बच्चों का बाहुल्य था वहां अब कभी-कभार दिखते हैं।.
शिकार की घटनाओं को कैसे रोका जाए?
हमारे हमारे चारों तरफ और विश्व में पर्यावरण के प्रति एवं प्रकृति के प्रति सरकार जागरूक करने का अभियान चला रही है लेकिन आज से 500 साल पहले गुरु जंभेश्वर भगवान ने पर्यावरण, वन्य जीव एवं समस्त मानवता के प्रति संवेदना का भाव, दया का भाव दिखाने का संदेश दिया था।
विशेष तौर से राजस्थान के मरुस्थली इलाकों में पर्यावरण और वन्य जीवों को बचाने की जरूरत है,। संरक्षण की जरूरत है,.
इसलिए केवल बिश्नोई ही नहीं समस्त मानव समाज को पर्यावरण एवं जीवन का संतुलन बनाए रखने के लिए हमें आगे आना होगा।
पूर्व में जो प्रेरणा हमे मां अमृता देवी के त्याग से मिली। उनके आदर्श एवं बलिदान को याद रखते हुए पेड़ों एवं जीवन को बचाना होगा।
बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी, उसी तर्ज पर हमें अपने प्राणों को, जीवन को बचाने में एवं प्रकृति के संरक्षण में लगाना होगा।.
वन्यजीव एवं पेड़ पौधों के लिए हमें जीना होगा। इनको सुरक्षित कैसे किया जाए, इसके लिए सरकारी सहयोग एवं गैर सरकारी संगठनों की की मदद लेकर उनको बचाना होगा। हमें मां अमृता देवी के आदर्शों को आगे बढ़ना होगा, तब जाकर पर्यावरण संरक्षण एवं जीव सुरक्षित हो पाएंगे।