बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद भारतीय इतिहास का एक प्रमुख और संवेदनशील मुद्दा है,.
जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, और कानूनी पहलू शामिल हैं।
यह विवाद बाबर के समय से लेकर 2024 तक विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है।
यहां इस विवाद का विस्तृत और संतुलित विवरण प्रस्तुत है:
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बाबरी मस्जिद का निर्माण और विवाद की शुरुआत
1. बाबरी मस्जिद का निर्माण (1528):
यह कहा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर उनके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया।
हालांकि, इसके ऐतिहासिक प्रमाण विवादित हैं, लेकिन यह मान्यता हिंदू समाज में गहरी रही कि यह स्थान भगवान राम का जन्मस्थल है।
2. मुगल और ब्रिटिश शासनकाल:
मुगल काल में यह स्थान हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवादित बना रहा।
ब्रिटिश शासन के दौरान, 1859 में अंग्रेजों ने विवादित ढांचे को लेकर दोनों पक्षों के बीच हिंसा रोकने के लिए यहां बाड़ लगाई और हिंदुओं को बाहर पूजा करने की अनुमति दी।
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स्वतंत्रता के बाद की प्रमुख घटनाएं
1. 1949 का घटनाक्रम:
दिसंबर 1949 में, विवादित ढांचे के भीतर भगवान राम की मूर्तियां स्थापित की गईं।
इसे हिंदू समाज ने “चमत्कार” के रूप में देखा, जबकि मुस्लिमों ने इसे गैरकानूनी बताया। प्रशासन ने विवादित स्थल को सील कर दिया।
2. अदालती याचिकाएं:
1950-1980 के दशक में विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गईं। हिंदुओं ने पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी।
, जबकि मुस्लिम संगठनों ने विवादित स्थल को मस्जिद घोषित करने की अपील की।
3. विश्व हिंदू परिषद का आंदोलन (1984):
राम जन्मभूमि के लिए आंदोलन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा जोर-शोर से शुरू किया गया।
राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज को संगठित करने का कार्य शुरू हुआ।
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6 दिसंबर 1992 की घटना
1. कार सेवकों का जुटना:
विहिप, बजरंग दल, और शिवसेना जैसे संगठनों ने देशभर से लाखों कार सेवकों को अयोध्या बुलाया।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने यह आश्वासन दिया कि विवादित स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
2. विवादित ढांचे का विध्वंस:
कार सेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढांचे को गिरा दिया।
यह घटना देशभर में सांप्रदायिक दंगों और राजनीतिक अस्थिरता का कारण बनी।
3. केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका:
कल्याण सिंह सरकार: कार सेवकों पर गोली चलाने से मना किया। बाद में उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई।
केंद्र सरकार: तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने घटना के बाद विवादित स्थल को केंद्र सरकार के अधीन कर लिया।
4. आंदोलन के परिणाम:
इस घटना के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद राष्ट्रीय राजनीति का मुख्य मुद्दा बन गया।
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विवादित स्थल का कानूनी इतिहास
1. इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला (2010):
कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन भागों में विभाजित करने का निर्णय दिया – राम लला को जन्मभूमि, निर्मोही अखाड़ा, और मुस्लिम पक्ष।
2. सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (2019):
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल को पूरी तरह राम जन्मभूमि घोषित किया और सरकार को मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया।
मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ भूमि देने का आदेश दिया गया।
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राम मंदिर निर्माण और उद्घाटन
1. मंदिर निर्माण का कार्य:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया।
2. राम मंदिर का उद्घाटन (2024):
राम मंदिर का निर्माण पूरा हुआ और इसे राम भक्तों के लिए खोल दिया गया। यह हिंदू समाज के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक बना।
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राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव
यह विवाद भारतीय राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हुआ, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, राम मंदिर आंदोलन ने हिंदू समाज को एकजुट किया।
निष्कर्ष
बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद एक ऐसा मुद्दा रहा है, जिसने भारत के धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया।
आज जब राम मंदिर बनकर तैयार है, यह इतिहास की एक लंबी यात्रा का अंत और एक नए अध्याय की शुरुआत है।