Nabalig ko karaya mukt:jalor police ki karyvahi

Nabalig ko karaya mukt:jalor police ki karyvahi

जालोर पुलिस की मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ एक सराहनीय कदम उठाते हुए एक नाबालिग बालक को बाल श्रम से मुक्त कराया है।

यह कार्रवाई विशेष अभियान “उमंग IV” के अंतर्गत जिला पुलिस अधीक्षक श्री ज्ञानचंद्र यादव के आदेश और अति. पुलिस अधीक्षक महिला अपराध अनुसंधान सैल, श्री कैलाश विश्नोई के निर्देशन में की गई।

 

यूनिट प्रभारी निरीक्षक श्री बाबूलाल जांगीड़ और उनकी टीम ने ओम बालाजी जूस सेंटर (रघुरत्न होटल, जालोर) पर छापा मारा, जहां एक नाबालिग को जबरन काम करने के लिए मजबूर पाया गया।

जांच में नाबालिग ने खुलासा किया कि दुकान मालिक प्रवीण कुमार (पुत्र शांतिलाल) उसकी इच्छा के विरुद्ध उससे काम करवा रहा था।

 

पुलिस ने प्रवीण कुमार के खिलाफ बाल श्रम और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने पर धारा 146 बीएनएस 2023 और धारा 79 किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत मामला दर्ज किया। मुक्त कराए गए बालक को बाल कल्याण समिति के संरक्षण में सौंपा गया है।

 

इस कार्रवाई ने पुलिस की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है कि वे बाल श्रम और मानव तस्करी जैसी सामाजिक बुराइयों पर सख्त कदम उठाने के लिए दृढ़

हैं।

बाल श्रम और मानव तस्करी के खिलाफ कड़े कानून

 

धारा 146 बीएनएस 2023

 

यह धारा बाल श्रम के प्रति संवेदनशील मामलों में लागू होती है। इसके तहत किसी भी नाबालिग को जबरन श्रम करवाने या बंधुआ मजदूरी कराने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।

इसके अंतर्गत दोषी पाए गए व्यक्ति पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है।

 

धारा 79 किशोर न्याय अधिनियम 2015

 

इस कानून के अनुसार, किसी भी नाबालिग को उनकी मर्जी के खिलाफ काम करवाना या उनका शोषण करना दंडनीय अपराध है।

यह अधिनियम बच्चों को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संरक्षित करता है और इसमें दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है।

 

विशेष अभियान “उमंग IV”

 

“उमंग IV” एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य बाल श्रम और मानव तस्करी को जड़ से समाप्त करना है।

इसके तहत जमीनी स्तर पर छापेमारी, बचाव अभियानों और लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं।

यह अभियान समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाने का एक सार्थक प्रयास है।

 

जागरूकता पैदा करने के लिए इन कानूनों और अभियानों को समझना जरूरी है।

इसके जरिए न सिर्फ बाल श्रम और तस्करी को रोका जा सकता है, बल्कि बच्चों को उनका सुरक्षित और उज्जवल भविष्य भी दिया

जा सकता है।

बाल श्रम कानूनों के प्रावधान:

 

किस उम्र के बच्चों से काम करवाना गैरकानूनी है?

 

बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत:

 

1. 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कोई भी काम करवाना गैरकानूनी है।

 

 

2. 14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों से खतरनाक कार्य (Hazardous Work) करवाना अपराध है।

 

 

 

ऐसे कार्य जो बच्चों से करवाए जा सकते हैं:

 

1. परिवारिक व्यवसाय (बशर्ते कि इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो)।

 

 

2. स्कूल के बाद या छुट्टियों में हल्के कार्य, जैसे कृषि कार्य, बागवानी, या घरेलू कार्य।

 

 

 

ऐसे कार्य जो बच्चों से नहीं करवाने चाहिए:

 

1. खतरनाक उद्योग या कार्य: जैसे खदान, निर्माण, रसायन निर्माण, पटाखा फैक्ट्री।

 

 

2. लंबे समय तक शारीरिक श्रम: जैसे होटल, ढाबा, या फैक्टरी में श्रम।

 

 

3. शोषणकारी कार्य: जिसमें बच्चे की इच्छा के विरुद्ध मानसिक या शारीरिक शोषण हो।

 

 

 

 

 

कब माना जाएगा कि यह बाल श्रम है?

 

1. बाल श्रम माना जाएगा अगर:

 

बच्चे की आयु 14 वर्ष से कम है और उससे किसी भी प्रकार का श्रम कराया जा रहा है।

 

14-18 वर्ष के किशोर को खतरनाक कार्य में लगाया गया है।

 

कार्य के कारण बच्चे की शिक्षा, सेहत, और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

 

 

 

2. बाल श्रम नहीं माना जाएगा अगर:

 

बच्चा हल्के घरेलू कार्य या पारिवारिक व्यवसाय में मदद कर रहा है।

 

कार्य बच्चे की पढ़ाई और व्यक्तिगत विकास में बाधा नहीं डालता।

 

 

 

 

 

 

महत्वपूर्ण संदेश

 

बच्चों से सिर्फ ऐसा कार्य करवाना चाहिए, जो उनकी उम्र, क्षमता और पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए हो।

यदि कोई बच्चे का मानसिक, शारीरिक, या शैक्षिक शोषण करता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है और कड़ी सजा का प्राव

धान है।

“हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा, और सम्मान का अधिकार है।”

 

बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी: परिभाषा, अपराध और सजा

 

बंधुआ मजदूरी क्या है?

 

बंधुआ मजदूरी वह स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति, विशेष रूप से बच्चों, को कर्ज चुकाने या किसी अनुबंध के नाम पर उनकी इच्छा के विरुद्ध श्रम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

इसमें श्रमिक को बुनियादी अधिकार, उचित मजदूरी और स्वतंत्रता से वंचित कर दिया जाता है।

 

कानूनी स्थिति: बंधुआ मजदूरी (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है।

 

सजा: बंधुआ मजदूरी कराने वाले को 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

 

 

मानव तस्करी क्या है?

 

मानव तस्करी में बच्चों या व्यक्तियों को शोषण के लिए जबरन लाया, ले जाया, या उनका व्यापार किया जाता है। यह शोषण शारीरिक श्रम, यौन शोषण, या अवैध गतिविधियों के लिए हो सकता है।

 

कानूनी स्थिति: मानव तस्करी भारतीय दंड संहिता की धारा 370 के तहत अपराध है।

 

सजा: मानव तस्करी के दोषी को 7 से 10 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है।

 

 

 

 

ऐसे कार्य जिनमें बच्चों को नियुक्त नहीं करना चाहिए

1. खतरनाक कार्य: खदान, निर्माण, रसायन निर्माण, फैक्ट्री मशीनरी संचालन।

 

 

2. शोषणकारी काम: जैसे बंधुआ मजदूरी, यौन शोषण, भीख मंगवाना।

 

 

3. अवैध गतिविधियां: जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी या अपराध में शामिल करना।

 

 

4. मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन: शिक्षा और खेलने के अधिकारों से वंचित कराना।

 

 

 

 

 

बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी की रोकथाम का महत्व

 

बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं।

 

इन अपराधों में शामिल व्यक्ति को कड़ी सजा देकर न केवल पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, बल्कि समाज में इन अपराधों के प्रति जागरूकता भी फैलाई जा सकती है।

 

बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित करना न केवल उनका भविष्य खराब करता है, बल्कि यह सामाजिक और नैतिक अपराध भी है।

 

 

“हर बच्चे को स्वतंत्रता, शिक्षा, और सम्मान का अधिकार है। बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी जैसे

अपराधों को समाप्त करना हमारा सामूहिक दायित्व है।”

 

यहां बाल श्रम और मानव तस्करी को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करने वाले चित्र हैं:

 

1. बाल श्रम: यह कार्यभार और उसके प्रभाव का एक प्रतीकात्मक चित्रण है, जो दिखाता है कि किस प्रकार काम के बोझ से बच्चे पर प्रभाव पड़ता है।

 

 

2. मानव तस्करी: इसमें “फंसे हुए,” “मजबूर,” और “शोषित” जैसी स्थितियों को दिखाया गया है, जो मानव तस्करी की गंभीरता को प्रदर्शित करता है।

 

 

 

यह चित्र इन सामाजिक समस्याओं को समझने और जागरूकता फैलाने में सहायक हो स

कते हैं।

यह प्रतीकात्मक चित्र पुलिस द्वारा बाल श्रम और मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई का प्रतिनिधित्व करता है:

 

1. नीला आयत: कानून प्रवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है।

 

 

2. हरा तीर: बाल श्रम को रोकने और बच्चों को बचाने की पुलिस कार्रवाई।

 

 

3. लाल तीर: मानव तस्करों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई।

 

 

4. पीला वृत्त: बचाए गए बच्चों का प्रतीक।

 

 

5. नारंगी वृत्त: पकड़े गए तस्करों का प्रतीक।

 

 

 

यह चित्र पुलिस की सक्रिय भूमिका और इन सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की उनकी प्रतिबद्धता को

रेखांकित करता है।

 

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