“वन स्टेट वन इलेक्शन” के तहत सभी निकायों में एक साथ चुनाव का प्रस्ताव
राजस्थान सरकार “वन स्टेट वन इलेक्शन” (एक राज्य, एक चुनाव) की अवधारणा को लागू करने की तैयारी कर रही है।
शहरी विकास एवं आवासन (यूडीएच) मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने घोषणा की कि राज्य में सभी शहरी निकायों के चुनाव एक साथ कराने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कुछ निकायों के चुनाव 2025 के नवंबर-दिसंबर में और अंतिम चरण के चुनाव 2026 के जनवरी में आयोजित करने की योजना है।
इसके लिए विधिक राय ली जा रही है, और मामला राज्य के महाधिवक्ता के पास भेजा गया है।
मंत्री खर्रा ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक सुचारू और व्यवस्थित बनाना है।
बार-बार होने वाले चुनावों के स्थान पर सभी निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराना प्रशासन और वित्तीय प्रबंधन के लिहाज से अधिक कारगर होगा।
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“वन स्टेट वन इलेक्शन” का कानूनी पहलू
भारतीय संविधान और चुनाव आयोग की भूमिका:
1. चुनाव आयोग की भूमिका:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
यह निकाय संसदीय, विधानसभा, नगर निकायों और पंचायत चुनावों को आयोजित करता है।
2. “वन स्टेट वन इलेक्शन” का कानूनी आधार:
भारतीय संविधान में “वन स्टेट वन इलेक्शन” को सीधे तौर पर शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इसे लागू करने के लिए राज्य के चुनाव आयोग और विधिक विशेषज्ञों की सहमति आवश्यक है।
3. अधिनियम और नियमावली:
नगर निकाय चुनाव राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार होते हैं।
यदि सभी निकायों के चुनाव एक साथ कराने की योजना है, तो संबंधित नियमों और अधिनियमों में संशोधन करना पड़ सकता है।
4. लाभ:
प्रशासनिक खर्च में कमी।
मतदाताओं के लिए चुनाव प्रक्रिया में सहजता।
प्रशासन और विकास कार्यों में बाधा कम।
5. चुनौतियां:
सभी निकायों के कार्यकाल का एकसमान होना।
कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में संशोधन।
निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा निर्धारण में समन्वय।
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चुनाव आयोग की वर्तमान नीति और संभावनाएं
भारत में अब तक “वन नेशन वन इलेक्शन” की अवधारणा पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन राज्य स्तर पर इसे लागू करने की दिशा में यह एक अहम कदम होगा।
राजस्थान सरकार का यह प्रस्ताव न केवल राज्य में चुनाव प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में मदद करेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है।
सरकार का मानना है कि इस पहल से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक बनाया जा सकेगा।
अब सभी की निगाहें विधिक राय और इस योजना को अंतिम रूप देने पर हैं।