reminiscences of nehru age: book of mathai

reminiscences of nehru age: book of mathai

रेमिनिसेंस ऑफ नेहरू एज: नेहरू युग की यादें और विवाद की गूंजreminiscences of nehru age: book of mathai

 

पुस्तक के लेखक और पृष्ठभूमि

रेमिनिसेंस ऑफ नेहरू एज, एम.ओ. मथाई द्वारा लिखी गई एक विवादास्पद पुस्तक है। मथाई, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव थे, ने इस किताब में अपने अनुभवों और नेहरू के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। यह किताब 1978 में प्रकाशित हुई, जब इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर थीं। मथाई ने इसे एक जीवनी या ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, बल्कि “चर्चा और यादों का संग्रह” बताया।

 

इस पुस्तक ने तत्कालीन राजनीतिक माहौल और नेहरू परिवार के निजी जीवन को लेकर कई सवाल उठाए। खासतौर पर इसका एक अध्याय, “She”, जिसे प्रकाशित संस्करण में खाली छोड़ दिया गया था, गहरे विवाद और अटकलों का विषय बन गया।

 

विवादित अध्याय: “She”

पुस्तक के अध्याय 29, जिसका शीर्षक “She” था, को पाठकों के लिए खाली छोड़ दिया गया। इसमें मथाई ने इंदिरा गांधी और गांधी परिवार से जुड़े कुछ निजी पहलुओं का जिक्र किया था। हालांकि, इसे कभी आधिकारिक रूप से प्रकाशित नहीं किया गया। अध्याय में मौजूद नोट से स्पष्ट होता है कि इसमें ऐसा कुछ था जिसे राजनीतिक और व्यक्तिगत कारणों से छिपा दिया गया।

 

अध्याय 29 का खाली रहना अपने आप में एक पहेली बन गया। अफवाहें थीं कि इसमें नेहरू और उनके परिवार के कुछ निजी संबंधों के बारे में विवादास्पद दावे थे। इसके कथित मसौदे की चर्चा कई बार हुई, लेकिन इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान इसे दबा दिया गया।

 

पुस्तक की सामग्री और प्रभाव

पुस्तक को जहां एक ओर नेहरू के प्रति मथाई के लगाव और उनकी अद्वितीय व्यक्तित्व को उजागर करने के लिए सराहा गया, वहीं दूसरी ओर इसे अतिरंजित और व्यक्तिगत हमलों से प्रेरित भी माना गया। मथाई ने नेहरू को केवल एक मजबूत नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक मानवीय और कमजोर पक्षों के साथ चित्रित किया।

 

किताब के कुछ विवादास्पद हिस्सों में शामिल हैं:

 

1. नेहरू के निजी जीवन की झलकियां: मथाई ने नेहरू के व्यक्तिगत विचारों, आदतों और उनके रिश्तों के बारे में चर्चा की।

 

 

2. राजनीतिक पृष्ठभूमि की आलोचना: नेहरू के फैसलों और उनके प्रभाव का वर्णन करते हुए मथाई ने कई बार तीखी टिप्पणियां कीं।

 

 

3. इंदिरा गांधी से जुड़े पहलू: मथाई ने अप्रत्यक्ष रूप से इंदिरा गांधी के कुछ निर्णयों और उनके निजी जीवन पर सवाल उठाए।

reminiscences of nehru age:  book of mathai

 

 

चैप्टर 29 और इसकी अनकही कहानी

अध्याय 29, हालांकि प्रकाशित नहीं हुआ, लेकिन इसकी गूंज भारतीय राजनीति और साहित्यिक चर्चा में लंबे समय तक रही। कहा जाता है कि मथाई ने इसमें नेहरू परिवार के कुछ निजी मामलों को लिखा था, जो शायद इंदिरा गांधी के राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचा सकते थे।

 

पुस्तक का महत्व और विरासत

रेमिनिसेंस ऑफ नेहरू एज को इतिहास के एक सटीक दस्तावेज के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह नेहरू युग की एक व्यक्तिगत झलक है, जो उस समय के माहौल, राजनीति और नेहरू के निजी जीवन के कुछ अनजाने पहलुओं को सामने लाती है।

 

हालांकि, इसे पढ़ते समय यह याद रखना आवश्यक है कि यह लेखक का दृष्टिकोण है, जो व्यक्तिगत और संभावित पूर्वाग्रहों से प्रभावित हो सकता है। पुस्तक में नेहरू के व्यक्तित्व और उनके दौर की राजनीति को समझने की क्षमता है, लेकिन इसके विवादास्पद पहलुओं को सावधानीपूर्वक समझना चाहिए।

 

पढ़ने के लिए क्यों आकर्षित करती है यह पुस्तक?

 

1. नेहरू के जीवन का अनूठा दृष्टिकोण: पाठक को नेहरू के व्यक्तित्व के उस पक्ष से परिचित कराती है, जिसे आमतौर पर इतिहास में नहीं देखा जाता।

 

 

2. विवादास्पद सामग्री: अध्याय 29 जैसे हिस्से और मथाई की स्पष्टवादिता इसे पढ़ने के लिए और भी रोचक बनाती है।

 

 

3. नेहरू युग की राजनीति की झलक: यह पुस्तक पाठकों को उस समय के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को समझने में मदद करती है।

 

 

 

निष्कर्ष

रेमिनिसेंस ऑफ नेहरू एज एक ऐसी किताब है, जो नेहरू युग की राजनीति और उनके जीवन के गहरे पहलुओं को उजागर करती है। यह पुस्तक इतिहास और राजनीति में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हो सकती है। लेकिन इसे पढ़ते समय एक निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना और विवादास्पद मुद्दों के प्रति सचेत रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

 

स्रोत:

लेखक की पुस्तक से प्राप्त जानकारी और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध चर्चाएं।

 

 

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