प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज, 17 दिसंबर 2024, राजस्थान के जयपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वे राज्य सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘एक वर्ष-परिणाम उत्कर्ष’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे।
प्रधानमंत्री का आज का कार्यक्रम:
सुबह 10:20 बजे: दिल्ली से जयपुर के लिए प्रस्थान।
सुबह 11:25 बजे: जयपुर एयरपोर्ट पर आगमन।
सुबह 11:50 बजे: हेलीपैड के लिए प्रस्थान।
दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक: ‘हर घर खुशहाली’ कार्यक्रम में भागीदारी, जहां वे 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, जिनमें ‘पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट’ (PKC-ERCP) प्रमुख है।
दोपहर 1:30 बजे: कार्यक्रम स्थल से हेलीपैड के लिए प्रस्थान।
दोपहर 2:05 बजे: जयपुर एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना।
मुख्य कार्यक्रम और परियोजनाएं:
PKC-ERCP का शिलान्यास: यह परियोजना राजस्थान के 21 जिलों में जल संकट को दूर करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है, जिससे पेयजल और सिंचाई की सुविधाएं बेहतर होंगी।
अन्य परियोजनाएं: प्रधानमंत्री ऊर्जा, सड़क, रेलवे और जल से जुड़ी 46,300 करोड़ रुपये से अधिक की 24 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, जिनमें नवनेरा बैराज, स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन नेटवर्क, रेलवे विद्युतीकरण, और दिल्ली-वडोदरा ग्रीन फील्ड अलाइनमेंट जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रधानमंत्री राज्य के विकास को नई गति प्रदान करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जयपुर के दादिया गांव में PKC-ERCP का शिलान्यास करेंगे।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP): विकास की नई उम्मीद
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (Eastern Rajasthan Canal Project – ERCP) एक महत्वाकांक्षी और बहुउद्देश्यीय योजना है। इसका उद्देश्य चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों के अधिशेष जल का उपयोग करते हुए पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार करना है। यह परियोजना 2017-18 में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित की गई थी।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसके उद्घाटन की संभावनाओं ने इसे राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बना दिया है।
ERCP: आवश्यकता और पृष्ठभूमि
राजस्थान, जो भारत का सबसे बड़ा राज्य है, देश का 10.4% भौगोलिक क्षेत्र कवर करता है। लेकिन यह सतही जल का केवल 1.16% और भूजल का 1.72% ही प्राप्त कर पाता है।
राज्य के पश्चिमी हिस्से में इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) ने जल संकट को काफी हद तक कम किया है। लेकिन पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों—कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, सवाई माधोपुर, टोंक, अजमेर, जयपुर, करौली, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, और अलवर—में जल संकट अभी भी गंभीर है।
ERCP इन जिलों में भूजल स्तर को स्थिर करने, सिंचाई का विस्तार करने और पेयजल संकट को हल करने का एक प्रभावी उपाय बन सकती है।
परियोजना की कार्यप्रणाली
ERCP का मुख्य उद्देश्य चंबल और उसकी सहायक नदियों (कालीसिंध, पार्वती, मेज) से मानसून के दौरान बाढ़ के रूप में बहने वाले अधिशेष जल का संग्रहण करना है।
यह पानी बनास, मोरेल, गंभीर, और बाणगंगा नदियों में स्थानांतरित किया जाएगा।
परियोजना में कुल 3510 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी का उपयोग होगा:
1723.5 MCM पेयजल के लिए
1500.4 MCM सिंचाई के लिए
286.4 MCM औद्योगिक उपयोग के लिए
प्रमुख घटक:
1. बीसलपुर बांध: जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए इसकी ऊंचाई में वृद्धि।
2. नवनेरा बैराज: जल संग्रहण और वितरण के लिए।
3. गलवा बांध और मेज एनीकट: सिंचाई और जल आपूर्ति को सुदृढ़ बनाने के लिए।
ERCP के लाभ
1. पेयजल संकट का समाधान: 13 जिलों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
2. सिंचाई का विस्तार: लगभग 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
3. ग्रामीण विकास: भूजल स्तर के स्थिर होने से कृषि उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होगी।
4. बाढ़ नियंत्रण: मानसून में व्यर्थ बहने वाले पानी का उपयोग हो सकेगा।
5. औद्योगिक विकास: दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) को जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
6. पक्षी संरक्षण: भरतपुर के राष्ट्रीय पक्षी विहार को जल संकट से राहत मिलेगी।
चुनौतियां
1. राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा:
ERCP को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग अभी लंबित है।
राष्ट्रीय दर्जा मिलने पर परियोजना की 90% लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
2. मध्यप्रदेश से एनओसी:
मध्यप्रदेश सरकार से पानी के उपयोग के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण है।
मध्यप्रदेश को आशंका है कि इससे उनके हिस्से का पानी प्रभावित होगा।
3. वित्तीय बाधाएं:
परियोजना की लागत 2017 में ₹37,200 करोड़ थी, जो अब बढ़कर लगभग ₹70,000 करोड़ हो गई है।
राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण
1. राजनीतिक महत्व:
ERCP राजस्थान में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा है। राज्य सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र पर दबाव बना रही है।
2. सामाजिक आंदोलन:
“ERCP नहीं तो वोट नहीं” जैसे आंदोलन इस परियोजना की आवश्यकता को उजागर कर रहे हैं।
3. सामाजिक प्रभाव:
परियोजना के सफल क्रियान्वयन से पूर्वी राजस्थान की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा।
भविष्य की योजनाएं और प्रगति
1. लक्ष्य 2051 तक: परियोजना को 2051 तक पूरा करने की योजना है।
2. तकनीकी सुधार: बेहतर मॉनिटरिंग और तकनीकों का उपयोग कर कार्य में तेजी लाई जाएगी।
3. वित्तीय प्रावधान: राजस्थान सरकार ने 2023-24 के बजट में इसके लिए ₹13,000 करोड़ का प्रावधान किया है।
निष्कर्ष
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) न केवल राजस्थान के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए जल प्रबंधन और सतत विकास का एक आदर्श उदाहरण बन सकती है। यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के लिए एक जीवनरेखा साबित होगी। लेकिन इसे सफल बनाने के लिए।
इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाना
और मध्यप्रदेश से विवाद सुलझाना आवश्यक है।
ERCP के प्रभावी कार्यान्वयन से यह क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास का केंद्र बन सकता है।
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परिचय
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (Eastern Rajasthan Canal Project – ERCP) एक महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय योजना है, जिसका उद्देश्य राजस्थान के जल संकट को हल करना है। यह परियोजना 13 जिलों की 2.80 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई और 3.50 करोड़ लोगों को पेयजल सुविधा प्रदान करेगी।
इस परियोजना की नींव भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को रखेंगे, जो राजस्थान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। 45,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को राज्य और केंद्र सरकारों के सहयोग से लागू किया जाएगा।
ERCP: विकास की ओर एक बड़ा कदम
1. क्या है ERCP?
ERCP चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कालीसिंध, पार्वती, मेज) के अतिरिक्त जल का उपयोग करते हुए पूर्वी राजस्थान के जिलों तक पानी पहुंचाएगी।
बिसलपुर और ईसरदा बांध: पहले चरण में पानी इन बांधों तक पहुंचेगा।
पंपिंग स्टेशन और टनल: मेज नदी पर पंपिंग स्टेशन और 2.6 किमी लंबी सुरंग बनाई जाएगी।
158 बांध और जल स्रोत: इनसे जुड़े सभी जलाशयों तक पानी पहुंचाया जाएगा।
2. प्रमुख लाभ:
सिंचाई सुविधा: 2.80 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को लाभ।
पेयजल आपूर्ति: 3.50 करोड़ लोगों के लिए जल संकट का समाधान।
भूजल स्तर सुधार: क्षेत्र का जलस्तर स्थिर और पुनर्भरण में मदद।
औद्योगिक निवेश: जल उपलब्धता के कारण नए उद्योग स्थापित होंगे।
ERCP विवाद: समस्या और समाधान
1. विवाद की जड़:

ERCP के लिए जल का बड़ा हिस्सा मध्यप्रदेश के कैचमेंट क्षेत्र से आता है। मध्यप्रदेश ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनके हिस्से के जल पर प्रभाव डाल सकता है।
2. कानूनी और राजनीतिक गतिरोध:
मध्यप्रदेश ने 2005 और 2022 में केंद्र को पत्र लिखकर अपनी असहमति जताई।
राजस्थान ने परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए लगातार राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग की।
3. समाधान कैसे निकला?
राजनीतिक वार्ता:
राजस्थान में गहलोत सरकार और मध्यप्रदेश में मोहन यादव सरकार के बीच बातचीत हुई।
एमओयू और डीपीआर पर सहमति:
दोनों राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समझौता (MOU) हुआ, जिसमें यह तय किया गया कि जल का उपयोग दोनों राज्यों के लाभ के लिए होगा।
राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा:
केंद्र ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते हुए 90% वित्तीय हिस्सेदारी स्वीकार की।
ERCP: विकास की नई दिशा
1. पर्यावरण और समाज पर प्रभाव:
जल प्रबंधन में सुधार से बाढ़ नियंत्रण होगा।
भरतपुर के पक्षी विहार जैसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होगा
2. आर्थिक प्रगति:
सिंचाई और पेयजल की उपलब्धता से कृषि उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होगी।
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) में पानी की उपलब्धता से औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
3. भविष्य की योजनाएं:
परियोजना को 2051 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
नए तकनीकी सुधारों के माध्यम से निर्माण प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
निष्कर्ष
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) राजस्थान के लिए विकास की नई उम्मीद है। यह परियोजना न केवल जल संकट को समाप्त करेगी बल्कि पूर्वी राजस्थान के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घाटन के साथ यह परियोजना पूरे देश के लिए एक आदर्श बनेगी जो यह दिखाएगी कि सही राजनीतिक इच्छाशक्ति और समन्वय से कैसे बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।