नई शिक्षा नीति 2023: एक व्यापक बदलाव की दिशा
36 साल बाद भारत की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2023) को मंजूरी दी है।
यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने और इसे अधिक समावेशी, लचीला और वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के लिए तैयार की गई है।
नई नीति का उद्देश्य देश को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना और शिक्षा को अधिक प्रभावी व छात्र-केंद्रित बनाना है।
नई शिक्षा नीति का स्वरूप और संरचना
नई शिक्षा नीति ने पारंपरिक 10+2 शिक्षा संरचना को बदलते हुए 5+3+3+4 फॉर्मूले की नई संरचना को अपनाया है।
5 साल का फाउंडेशनल चरण
यह चरण बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और बुनियादी कौशल पर केंद्रित है।
नर्सरी: 4 वर्ष
जूनियर केजी: 5 वर्ष
सीनियर केजी: 6 वर्ष
कक्षा 1: 7 वर्ष
कक्षा 2: 8 वर्ष
3 साल का प्रिपरेटरी चरण
इस चरण में बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान और प्रारंभिक विषयों का अध्ययन कराया जाएगा।
कक्षा 3: 9 वर्ष
कक्षा 4: 10 वर्ष
कक्षा 5: 11 वर्ष
3 साल का मिडल स्कूल चरण
यहां छात्र विषय आधारित पढ़ाई शुरू करेंगे।
कक्षा 6: 12 वर्ष
कक्षा 7: 13 वर्ष
कक्षा 8: 14 वर्ष
4 साल का सेकेंडरी चरण
यह चरण बोर्ड परीक्षाओं और उच्च शिक्षा के लिए आधार तैयार करेगा।
कक्षा 9: 15 वर्ष
कक्षा 10 (एसएससी): 16 वर्ष
कक्षा 11 (एफवाईजेसी): 17 वर्ष
कक्षा 12 (एसवाईजेसी): 18 वर्ष
नई शिक्षा नीति की विशेषताएं
1. केवल 12वीं में बोर्ड परीक्षा
नई शिक्षा नीति के तहत 10वीं बोर्ड परीक्षा को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल 12वीं में बोर्ड परीक्षाएं होंगी।
2. मातृभाषा में शिक्षा
कक्षा 5 तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा, स्थानीय भाषा या राष्ट्रभाषा में पढ़ाया जाएगा। अंग्रेजी को केवल एक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा।
3. कॉलेज शिक्षा का नया ढांचा
3 साल की डिग्री: हायर एजुकेशन न करने वाले छात्रों के लिए।
4 साल की डिग्री: हायर एजुकेशन के इच्छुक छात्रों के लिए।
पहला साल: सर्टिफिकेट
दूसरा साल: डिप्लोमा
तीसरा साल: बैचलर डिग्री
चौथा साल: रिसर्च-आधारित अध्ययन
4. एमफिल समाप्त
अब एमफिल कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।
5. पीएचडी के लिए सीधा प्रवेश
चार साल की डिग्री पूरी करने वाले छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे।
6. सेमेस्टर-आधारित परीक्षाएं
कक्षा 9वीं से 12वीं तक सेमेस्टर प्रणाली में परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी
उच्च शिक्षा में सुधार
1. समान नियम
सरकारी, निजी और डीम्ड सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम लागू किए जाएंगे।
2. एकल नियामक आयोग
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना की जाएगी, जो देश के सभी गैर-तकनीकी और तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों का नियमन करेगा।
3. वर्चुअल लैब्स और ई-कोर्स
उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स और वर्चुअल लैब्स की शुरुआत की जाएगी।
4. अन्य कोर्स के विकल्प
छात्र अपनी पढ़ाई के बीच में अन्य कोर्स भी कर सकते हैं। इससे छात्रों को अधिक लचीलापन मिलेगा।
5. ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो
2035 तक उच्च शिक्षा में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो को 50% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य
शिक्षा की पहुंच, गुणवत्ता और वहनीयता को बढ़ाना।
शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।
छात्रों में बहु-विषयक ज्ञान और कौशल का विकास करना।
मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना।
शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करना।
निष्कर्ष
नई शिक्षा नीति 2023 एक क्रांतिकारी कदम है, जो भारत के शिक्षा तंत्र को भविष्य के लिए तैयार करेगा।
यह नीति छात्रों को लचीलेपन, व्यावहारिक कौशल के साथ सशक्त बनाने का वादा करती है।
इसके जरिए भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
भारत में शिक्षा नीति: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और समीक्षात्मक रिपोर्ट
भारत में शिक्षा नीतियों का इतिहास कई चरणों और परिवर्तनों से गुजरता रहा है।
ब्रिटिश काल से लेकर वर्तमान तक शिक्षा नीति में कई बड़े बदलाव हुए हैं।
स्वतंत्रता के बाद से अब तक भारत ने तीन राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों को लागू किया है, जिनमें 1968, 1986 और 2023 शामिल हैं।
नीचे, भारत में शिक्षा नीति के विकास को कालक्रम के साथ प्रस्तुत किया गया है।
ब्रिटिश काल की शिक्षा नीति
1. मैकाले की शिक्षा नीति (1835)
थॉमस बैबिंगटन मैकाले की इस नीति ने भारत में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को बढ़ावा दिया।
इसका उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए “क्लर्क” वर्ग का निर्माण करना था।
भारतीय भाषाओं और पारंपरिक ज्ञान को शिक्षा प्रणाली से बाहर रखा गया।
शिक्षा का उद्देश्य केवल शासकों के लिए काम करने वाले व्यक्तियों को तैयार करना था।
2. वुड का डिस्पैच (1854)
इस नीति को भारतीय शिक्षा का “मैग्ना कार्टा” कहा जाता है।
प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की त्रिस्तरीय संरचना बनाई गई।
तकनीकी और महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।
शिक्षा प्रणाली में राज्य का हस्तक्षेप बढ़ाया गया।
स्वतंत्र भारत की शिक्षा नीतियां
1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 (पहली नीति)
आधार: कोठारी आयोग (1964-66) की रिपोर्ट।
घोषणा: इंदिरा गांधी सरकार।
मुख्य उद्देश्य:
14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा।
शिक्षा में समानता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।
क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लागू करना।
परिणाम:
भाषा नीति के तहत “त्रिभाषा सूत्र” की शुरुआत।
वैज्ञानिक शोध और तकनीकी शिक्षा पर जोर।
2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (दूसरी नीति)
घोषणा: राजीव गांधी सरकार।
आधार: ‘शिक्षा की चुनौतियां: एक नीति परिप्रेक्ष्य’ दस्तावेज़।
मुख्य उद्देश्य:
शिक्षा को आधुनिक और रोजगार-उन्मुख बनाना।
महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ाना।
‘सार्वभौमिक शिक्षा’ का लक्ष्य।
संशोधन: 1992 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार ने इसे संशोधित किया।
1990: आचार्य राममूर्ति की समीक्षा समिति।
1992: एन. जनार्दन रेड्डी समिति।
परिणाम:
प्राथमिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम।
शिक्षा के सार्वभौमिकरण की शुरुआत।
3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2023 (तीसरी नीति
घोषणा: नरेंद्र मोदी सरकार।
आधार: 21वीं सदी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार।
मुख्य परिवर्तन:
पुरानी 10+2 संरचना को बदलकर 5+3+3+4 संरचना लागू की गई।
मातृभाषा में कक्षा 5 तक शिक्षा।
10वीं बोर्ड की परीक्षा समाप्त।
उच्च शिक्षा में लचीलापन और विकल्प (मल्टीपल एंट्री और एग्जिट)।
कॉलेज डिग्री अब 3 और 4 साल की होगी।
एमफिल कार्यक्रम समाप्त।
डिजिटल शिक्षा और वर्चुअल लैब्स का विस्तार।
2035 तक उच्च शिक्षा में 50% ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो का लक्ष्य।
नई शिक्षा नीति: कार्यान्वयन का चरणबद्ध ढांचा
शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर बदलाव लागू करने की प्रक्रिया:
1. स्कूल शिक्षा:
5+3+3+4 संरचना चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी।
स्थानीय भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
नए पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणालियों को 2025 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य।
2. उच्च शिक्षा:
कॉलेज डिग्री का नया ढांचा (सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री) 2023 से लागू।
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन 2024 तक पूरा होगा।
क्षेत्रीय भाषाओं में ई-लर्निंग पाठ्यक्रम और वर्चुअल लैब्स का विस्तार।
3. डिजिटल शिक्षा:
2026 तक सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना
4. शिक्षा में समानता:
अनुसूचित जाति/जनजाति और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं।
नई शिक्षा नीति का प्रभाव और चुनौतियां
सकारात्मक प्रभाव:
1. समग्र विकास: नई नीति छात्रों को रोजगारोन्मुख और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करेगी।
2. राष्ट्रीयता का विकास: मातृभाषा में शिक्षा से छात्रों में अपनी संस्कृति और परंपरा के प्रति सम्मान बढ़ेगा।
3. डिजिटलीकरण: ई-लर्निंग से शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होगा।
4. लचीलापन: मल्टीपल एंट्री और एग्जिट विकल्प छात्रों को अपनी शिक्षा को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बदलने का मौका देगा।
चुनौतियां:
1. अवसंरचना: नई संरचना को लागू करने के लिए डिजिटल और भौतिक ढांचे की कमी।
2. मातृभाषा में शिक्षा: देश की विविध भाषाओं को समायोजित करना।
3. शिक्षकों का प्रशिक्षण: शिक्षकों को नई पद्धति के अनुसार प्रशिक्षित करना।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यान्वयन: नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता।
निष्कर्ष
भारत की शिक्षा नीति ने समय के साथ अपने स्वरूप को बदलते हुए आधुनिक आवश्यकताओं को अपनाया है।
नई शिक्षा नीति 2023 शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक सुधारों का प्रतीक है। यह छात्रों को समग्र विका
स के अवसर प्रदान करते हुए देश को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।।
हालांकि, इन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए व्यापक संसाधन, योजना और सहयोग की आवश्यकता होगी।
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